उम्र 68 साल है पैसे से राजमिस्त्री बेखुद सिर्फ पांचवी पास है

उम्र 68 साल है पैसे से राजमिस्त्री हैं बेखुद सिर्फ पांचवी पास है मगर आज 4200 बच्चे उनके शुक्रगुजार हैं क्योंकि उनके जीवन में शिक्षा का उजाला परशुराम ही लाए हैं झारखंड के बोकारो में सेक्टर 12 A में परशुराम पिछले 30 वर्षों से बिरसा मुंडा निशुल्क विद्यालय चला रहे हैं झोपड़ी नुमाइश विद्यालय में आसपास की बस्ती में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरों रिक्शा ठेला चलाने वालों के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है सिर्फ परशुराम की जीत से खड़े हुए इस विद्यालय में सातवीं तक शिक्षा दी जाती है परशुराम ने खुद अभाव और शिक्षा को करीब से देखा है वह कहते हैं मेरे मां-बाप दिहाड़ी मजदूर से तंगी की वजह से मैं पांचवी से आगे नहीं पढ़ पाया मां बाप के साथ मजदूरी की और वही राजमिस्त्री का काम सीख लिया मगर मुझे हमेशा यह बातचीत छुट्टी थी की मजदूरी करने वालों के बच्चे पढ़ाई क्यों नहीं कर सकते पत्नी को यह बात बताई तो वह भी साथ देने को तैयार हो गई परशुराम ने 1990 में अपनी 20000 की बचत से एक झोपड़ी नोमा स्कूल शुरू किया पहले से खुद ही बच्चों को अक्षर ज्ञान देते थे मगर धीरे-धीरे बच्चों का संख्या बढ़कर 7:00 तक पहुंच गई तब एक शिक्षक की जरूरत महसूस हुई परशुराम कहते हैं कि सब कोई भी शिक्षक निशुल्क बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार नहीं हुआ उन्होंने खुद 10000 के मानदेय पर 2 शिक्षकों को काम पर रखा है यह पैसे जुटाने के लिए साथ ही मजदूरों से मदद मांगी कई मजदूर महीने में रू200 देते इससे रू5000 जमा होते और बाकी की राशि जुटाने के लिए परशुराम रात में भी काम करने लगे

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