विजय काटकर
पूरी दुनिया अफगानिस्तान के हालात को लेकर चिंतित है लेकिन अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और भारत मुक बने हुए नजारे को देखने में लगे हुए है, अब देखना यह है कि कौन सा देश विश्व पटल पर अपनी स्थिति साफ करता है क्योकि यह मामला इंसानियत से जुडा हुआ है । जब पूरी दुनिया में अमन और चैन की बात होती है तो हर देश इसका समर्थन करता है लेकिन अफगानिस्तान को देखकर ऐसा लगता नही है कि दुनिया का कोई देश जो दुुनिया पर बादशाहत कायम करना चाहता है क्योकि अफगानिस्तान की सेना सत्ताधीशों के साथ मैदान से गायब है वही अफगानिस्तान की आवाम अपने वजूूद को कायम रखने के लिए संघर्षरत है । उसमें भी महिलाएं अपनी भूमिका निभाने से चूंक नही रही है उनके शौौहर भले ही जंग ए मैदान से गायब हो फिर भी वह तालिबान को चुनौती देने से घबरा नही रही है । दुनिया में अपने आप को दुनिया का नेतृत्व करने वाले देश इस समय अपने चाल चरित्र से बेफ्रिक होकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे है लेकिन वह अफगानिस्तान की समस्या खास तौर से महिलाओं और बच्चो की सुरक्षा को लेेकर गंभीर नही है । जबकि उन्हें इस और ध्यान देना चाहिए यदि ऐसा नही होता है तो आतंकवाद कभी दुनिया से खत्म नही होगा इसलिए किसी देश को तो अपनी भूमिका इस वक्त निभाना चाहिए ।
तालिबान के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं पंजशीर के लड़ाको ने
तालिबानी भी पंजशीर मामले को जल्दी हल करने के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि पंजशीर के लड़ाकों को शांत नहीं किया गया तो उन्हें सरकार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है, जिस पर तालिबान आज तक अपना कब्जा नहीं कर पाया है।
सूत्रों के मुताबिक, तालिबान के वार्ताकार अहमद मसूद से लगातार सरकार में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है। हक्कानी के दावों की भी अभी पुष्टि नहीं हुई है।
पंजशीर घाटी पर कब्जा जमाने के मंसूबे पाले बैठे तालिबान को तगड़ा झटका लगा है। सूत्रों का दावा है कि पंजशीर के लड़ाकों ने तालिबान पर रास्ते में घात लगाकर हमला किया। इस हमले में तालिबान के 300 लड़ाकों को मार दिया गया है।
इधर खबर ये भी है कि अफगानिस्तान में कब्जा करने के एक सप्ताह बाद तालिबान जल्द सरकार बनाने की घोषणा कर सकता है। इसके साथ नए राष्ट्रपति के नाम का ऐलान भी किया जा सकता है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने टोलो न्यूज से कहा कि नई सरकार के गठन को लेकर अफगानिस्तान के नेताओं से बातचीत जारी है। जल्द इसकी घोषणा की जाएगी।
पंजशीर पर हमला करने पहुंचा तालिबान
तालिबान पंजशीर के अपने लडाको को लेकर पहुंच गया है जो पंजशीर पर बड़े हमले की तैयारी कर रहा है। तालिबान के लड़ाके भारी हथियारों के साथ पंजशीर पर हमला करने पहुंच गए हैं। इस बार लड़ाकों की संख्या भी ज्यादा है। इससे सटे बगलान प्रांत के अंदराब जिले में बीती रात बड़ी तादाद में तालिबानी लड़ाकों ने हमला किया था। यहां कई लोगों के मारे जाने की खबर है। हमले को देखते हुए बगलान के देह-ए-सलाह जिले में विद्रोही लड़ाकों ने जुटना शुरू कर दिया है।
हमले के बाद पंजशीर के आस-पास के क्षेत्र से पलायन शुरू हो गया है। सुरक्षित ठिकाने की तलाश में लोग अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं। यहां तालिबान का मुकाबला कर रहे विद्रोही कुछ दिन पहले पीछे हट गए थे और पहाड़ों पर चले गए थे, लेकिन आज सुबह उन्होंने पहाड़ों से ही तालिबान पर हमले शुरू कर दिए हैं।
अहमद मसूद बोले- हमारे दस हजार लड़ाके देंगे टक्कर
अहमद मसूद ने साफ कर दिया है कि हम सरेंडर करने वालों में से नहीं हैं। जंग के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि हमारे दस हजार से ज्यादा लड़ाके तालिबान से टक्कर लेने के लिए तैयार हैं। तालिबानी हमसे न टकराए तो ही बेहतर रहेगा। मसूद ने कहा है कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेंगे और तालिबान के सामने किसी भी हालत में आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।
पंजशीर पर पूरी तरह कब्जे के बाद तालिबान कर सकता है सरकार बनाने की घोषणा
वहीं एक और जानकारी आ रही है कि अफगानिस्तान के पंजशीर पर कब्जा करने के एक सप्ताह बाद तालिबान सरकार बनाने की भी घोषणा कर सकता है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने टोलो न्यूज से कहा कि नई सरकार के गठन को लेकर अफगानिस्तान के नेताओं से बातचीत जारी है। जल्द इसकी घोषणा की जाएगी।
अमरुल्लाह सालेह ने ट्वीट कर दी जानकारी
वहीं खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा कि पड़ोसी अंदराब घाटी के दुर्गम क्षेत्रों में तालिबानी लड़ाके मुश्किल में फंस गए हैं जिसके कारण वे पंजशीर के प्रवेश द्वार के पास सैंकड़ो लड़ाकों को जमा कर दिया है। इस बीच सलांग हाईवे को भी उन्होंने बंद कर दिया है। हमें उम्मीद है हम इस संकट से जल्द उबर जाएंगे।
पंजशीर पर कब्जा करना तालिबान के लिए आसान नहीं
जब से तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया है तभी से पंजशीर घाटी के विद्रोही सतर्क हो गए हैं और खुद को और मजबूत करने में लग गए हैं। बताया जा रहा है कि इन विद्रोहियों में कठोर प्रशिक्षण पाए अफगान नेशनल आर्मी के सैनिकों की संख्या सबसे अधिक है। इस गुट का नेतृत्व नॉदर्न एलायंस ने चीफ रहे पूर्व मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं। उनके साथ पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और बल्ख प्रांत के पूर्व गवर्नर की सैन्य टुकड़ी भी है ।
उन्होंने अल अरबिया से कहा कि अगर अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा की शर्तें पूरी होती हैं तो वह अपने पिता की हत्या के लिए तालिबान को माफ करने के लिए तैयार हैं. 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर अल-कायदा के आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों से कुछ दिन पहले उनके पिता की हत्या कर दी गई थी, जिन्होंने तालिबान शासन के तहत अफगान अभयारण्य का आनंद लिया था. अहमद शाह मसूद का नाम अफगानिस्तान और दुनिया भर में भारी वजन रखता है.
तालिबान ने दुनिया से वादा किया है कि अफगानिस्तान में महिलाओं को ‘इस्लामिक कानूनों की सीमाओं के तहत’ या शरिया कानून के तहत सारे अधिकार दिए जाएंगे. हालांकि इस बारे में अभी तक कुछ भी साफ नहीं हो सका है कि तालिबान ने जो कहा उसका क्या मतलब होगा. आइए आपको बताते हैं कि अब जब तालिबान, अफगानिस्तान में शरिया लॉ की बात कर रहा है तो वहां पर महिलाओं को कौन-कौन से अधिकार मिल सकते हैं.