एक्ट्रेस, फ़िल्म डायरेक्टर और संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी की विशेष दूत एंजेलीना जॉली ने इंस्टाग्राम पर आगाज़ करते हुए एक अफ़ग़ान लड़की की भेजी हुई चिट्ठी शेयर की है.
इस चिट्ठी में उस लड़की ने एंजेलीना जॉली को तालिबान के द्वारा अफ़ग़ानिस्तान को अपने दखल में लेने से जुड़ी चिंताओं के बारे में विस्तार से लिखा है. “तालिबान के आने से पहले… हम सभी के पास हक़ थे. अब हम फिर क़ैदी हो गए हैं.”
एंजेलीना जॉली ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा है, “फिलहाल अफ़ग़ान लोग सोशल मीडिया पर अपनी बात कहने की आज़ादी खो रहे हैं. इसलिए मैं इंस्टाग्राम पर आई हूं ताकि बुनियादी मानवाधिकारों के लिए लड़ रहे दुनिया भर के लोगों की कहानियां शेयर कर सकूं.”
उन्होंने साल 2001 की अपनी अफ़ग़ानिस्तान यात्रा के बारे में भी लिखा है. एंजेलीना याद करती हैं कि अफ़ग़ानिस्तान यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात तालिबान के डर से भागे शरणार्थियों से हुई थी.
उन्होंने लिखा है कि देश में जारी अनिश्चितता के कारण लोगों को एक बार फिर से विस्थापित होते हुए देखना तकलीफ़देह है ।
तालिबान के समर्थन में आए पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी
हश्मत गनी के तालिबान के साथ मिलने से अशरफ गनी के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई है. अशरफ गनी के अफगानिस्तान को छोड़ते ही खबरें आई थी कि वह 12 अरब 57 करोड़ रुपए लेकर फरार हो गए हैं. हालांकि बाद में अशरफ गनी ने खुद इन आरोपों का खंडन किया. गनी ने कहा था कि वे अपने जूते तक नहीं पहन पाए थे और उन्हें अफगानिस्तान से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. अशरफ गनी ने बुधवार को एक वीडियो मैसेज जारी करके कहा था कि काबुल को तालिबान ने घेर लिया था और हाई ब्लड प्रेशर को रोकने के लिए देश छोड़कर गए.
तालिबान के कब्जा करते ही डर कर अफगानिस्तान को छोड़कर भागने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को बड़ा झटका लगा है. अशरफ गनी के भाई हशमत गनी अहमदजई ने तालिबानी हुकूमत के समर्थन का ऐलान किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने तालिबान की हर संभव मदद करने का भरोसा जताया है. जिस वक्त हशमत ने तालिबान के समर्थन का ऐलान किया उस वक्त उनके साथ तालिबान के नेता खलील उर रहमान और इस्लामिक विद्वान मुफ्ती महमूद जाकिर मौजूद थे.
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की मुलाकात, अफगानिस्तान मसले पर हुई चर्चा
रूस के राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन और जर्मन की चांसलर एंजेला मर्केल के बीच रूस की राजधानी मास्को में मुलाकात हुई. इस मुलाकात में अफगानिस्तान समेत अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई. जर्मन की चांसलर एंजेला मर्केल शुक्रवार को अफगानिस्तान में संकट, यूक्रेन में अलगाववादी संघर्ष और जेल में बंद रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी के साथ मास्को के बर्ताव सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए रूस की यात्रा पर आई.
मर्केल की मॉस्को यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब वह जर्मनी में अपने लगभग 16 साल लंबे नेतृत्व के अंत के करीब पहुंच रही हैं. तीखे मतभेदों के बावजूद उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ घनिष्ठ संपर्क बनाए रखा है जो 20 वर्षो से अधिक समय से सत्ता में हैं. इस बीच अफगानिस्तान में हालात पर भी दोनों देशों की नजर है ।
संयुक्त राष्ट्र की बच्चों की एजेंसी ने सोमवार को कहा कि पिछले तीन दिनों में अफगानिस्तान के तीन प्रांतों में कम से कम 27 बच्चे मारे गए हैं और 136 घायल हुए हैं। इसके अलावा कई मासूम नागरिकों की जान भी गई है। बच्चे इनके आतंक से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। अफगानिस्तान में यूनिसेफ के मुख्य फील्ड ऑपरेशन मुस्तफा बेन मेसाउद ने कहा कि इस साल के अंत तक अफगानिस्तान में पांच साल से कम उम्र के हर दो बच्चों में से कोई एक कुपोषण के कारण मानसिक रूप से बीमार या कुपोषित होगा और स्कूल नहीं जा पाएगा।
पुलिस के अनुसार, पत्रकार और रेडियो स्टेशन पक्तिया वॉयस के प्रमुख तूफान ओमारी की काबुल में तालिबान लड़ाकों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
ताजा मामले में दावा किया गया है कि एक महिला को इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि उसने बुर्का नहीं पहना था इसमें कहा गया कि महिला का शव खून में लथपथ जमीन पर था और उसके परिजन पास में बैठकर रो रहे थे।
अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एलान
अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद प्रधानमंत्री मोदी के आवास हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक भारतीय नागरिकों के साथ ही अल्पसंख्यक हिंदू व सिखों को बचाकर लाने का लिया संकल्प
पीएम मोदी ने कहा है कि भारत अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस निकालेगा. इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा है कि अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू व सिखों को शरण देना हमारी प्राथमिकता होगी. आपको बता दें कि मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बड़ी बैठक हुई. बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजित डोवाल मौजूद रहे. बैठक में तालिबान के सत्ता सम्भलने के मुद्दे पर सम्भावित चर्चा हुई. बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भाग लिया ।
अफगानिस्तान में दुनिया के सामने भारत की भूूूूमिका
उल्लेखनीय है कि भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 16 अगस्त को हुई बैठक में उत्साहित भारत नेे अफगानिस्तान में 3 अरब डॉलर का निवेश करके महिलाओं और बच्चों के लिए देश का सबसे बडा अस्पताल बनाया, स्कूल खडे किये, सलमा बांध बनाया और जरांज-देलरम हाईवे का निर्माण किया वही काबुल में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था की और अफगान संसद का नया भवन बनवाया । यह प्रोजेक्ट अफगानिस्तान के 34 प्रांतो मे चल रहेे थे वह इस उद्देश्य से की अफगानिस्तान में लोकतंत्र की स्थिरता और आवाम को मजबूत बनाए जा सके इस संपत्तियों पर तत्कालीन शासन का हाथ था लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी है । भारत को चाहिए कि विश्व स्तर पर जब वह आतंकवाद के खिलाफ खडा है तो अफगानिस्तान की वर्तमान परिस्थितियों पर अपना रूख कडाई के साथ रखे तथा संभव हो तो भारत की शांति सेना को वहां पर भेजे और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाए क्योकि जब भारत विश्व गुरू बनना चाहता है तो अभी ऐसा मौका है कि वह रूस, चीन, अमेरिका, पाकिस्तान से बेहतर कुछ करके दिखाए । यदि भारत अपने पडोसी देश की आवाम को यदि सुरक्षित कर लेता है और आतंकवाद को जड से उखाडना चाहता है तो इससे बेहतर मौका कभी भारत को नही मिलेगा? क्योकि अमेरिका के 60 लाख करोड एवं सैकडो सैनिको के मारे जाने के बाद भी वह सफलता हासिल नही कर पाया जो उसे हासिल करना चाहिए थी इससे उसकी छवि दुनिया में धुमिल हुई है । वही अफगानिस्तान में 2001 से 2021 तक लगभग 20,000,00 नागरिक तालिबानियों द्वारा मारे जा चुके है जिनमें महिलाओं और बच्चो की संख्या सबसे अधिक है ।ऐसे में भारत की भूमिका बनती है कि वह अपने मित्र राष्ट्र अफगानिस्तान की हर तरीके से मदद करे और महिलाओं एवं बच्चों की रक्षा करे इसके लिए उसे हर मुकम्मल प्रयास करने चाहिए जो भविष्य में भारत और दुनिया के लिए एक मिसाल बन सकेेेगा तथा दुनिया में आतंकवाद को इससे मुह तोड जवाब मिलेगा ?