नई दिल्ली । अफ़ग़ानिस्तान में जारी हिंसा के बीच तालिबान ने बड़ा बयान जारी किया है. अपने बयान में तालिबान ने कहा है कि हिंसा के दौरान अफगानिस्तान में मौजूद किसी भी दूतावास (सिफारतखाने) को नुकसान नहीं पहुंचायेगा. इसके अलावा तालिबान प्रवक्ता मोहम्मद सुहेल शाहीन से यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान भारत को यकीन दिला सकता है कि उसके खिलाफ अफगान जमीन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि हम किसी को भी पड़ोसी देशों समेत किसी भी देश के खिलाफ अफगान धरती का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।
चीन उठा सकता है फायदा क्योकि…………..
भले ही तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहेल शाहीन यह कह रहे हो कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नही किया जायेगा मगर पिछली हुई घटनाओं को देखते हुए चीन अपनी विस्तार वादी नीति को लेकर सजग और गंभीर है, वह अफगान में होने वालेे घटनाक्रम को लेेेकर इसलिए फायदा उठा सकता है । अफगानिस्तान से पेट्रोलियम सहित उससे लगी हुई देशों की सरहदों को चीन अपनी ताकत अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है यदि वह ऐसा नही करेगा तो दुनिया में अपनी सैन्य शक्ति को स्थापित नही कर पायेगा इसलिए चीन चाहेगा कि तालिबान का इस्तेमाल कर वह विश्व का आका बन सके ।
अफगानिस्तान से हटकर क्या अमेरिका ने की कोई गलती ?
अफगानिस्तान पर तालिबान की पकड़ बढ़ती जा रही है. इसी बीच ब्रिटेन के रक्षा सचिव बेन वालेस का एक बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि, ‘अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अमेरिका का फैसला एक गलती है, जिसने तालिबान को देश में एक गति प्रदान की है’.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार को इंटरव्यू देते हुए वालेस ने कहा कि, ‘पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा दोहा, कतर में वापसी समझौता एक बेकार सौदा था’. वालेस ने कहा, हम सभी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में शायद इसका परिणाम भुगतेंगे’.
उन्होंने आगे कहा कि, ‘मैं सार्वजनिक रूप से इसके बारे में बहुत स्पष्ट हूं और जब अमेरिकी फैसलों की बात आती है तो यह काफी दुर्लभ बात है, लेकिन रणनीतिक रूप से यह बहुत सारी समस्याएं पैदा करता है. एक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के रूप में आज हम जो देख रहे हैं वह बहुम मुश्किल परिस्थिति है’.
रक्षा सचिव ने कहा, ‘बेशक मैं चिंतित हूं, इसलिए मुझे लगा कि यह निर्णय लेने का सही समय नहीं है क्योंकि अल कायदा वापस आ जाएगा और निश्चित रूप से वह उस प्रकार के बीडिंग ग्राउंड को पसंद करेगा’. देश से ब्रिटिश सैनिकों की वापसी के बारे में बात करते हुए वालेस ने कहा कि, ‘ब्रिटेन के पास अपनी सेना को बाहर निकालने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को वहां एक साथ काम करना था’.
इसके अलावा रक्षा सचिव ने इस बात की भी पुष्टि की, कि ब्रिटिश नागरिकों और दुभाषियों को देश छोड़ने में मदद करने के लिए ब्रिटेन अफगानिस्तान में 600 सैनिकों को तैनात करेगा. अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि वह दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए काबुल हवाई अड्डे पर हजारों सैनिकों को तैनात करेगा.
बता दें कि 1 मई से शुरू हो रहे अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिकों की वापसी के बाद से युद्धग्रस्त देश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. तालिबान का दावा है कि उसने अब तक 10 से अधिक प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है.