महंगाई, यूक्रेन में युद्ध की आशंका से दुनियाभर के बाजार गिरे, चीन के चढ़े

भारतीय शेयर बाजारों में सोमवार को बड़ी गिरावट हुई। सेंसेक्स 1545.67 (-2.62%) अंकों की गिरावट के साथ 57,491.51 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में 468.05 (-2.66%) अंकों की गिरावट हुई। निफ्टी 17,149 पर बंद हुआ। भारत के बाजार लगातार पांच कारोबारी सत्र में गिरे हैं। इस अवधि में सेंसेक्स में कुल 3,817 (6.23%) अंकों की गिरावट हो चुकी है।
भारतीय बाजार में गिरावट की वजह घरेलू नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय है। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है, जिससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। लेकिन, बाजार में पिछले हफ्ते से जारी गिरावट का असर चीन के बाजारों पर नहीं दिखा है। दुनिया में सिर्फ चीन ही ऐसा है, जहां पिछले एक हफ्ते में शेयर बाजार चढ़े हैं। जबकि, अमेरिका और भारत में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज हुई है।

अब आगे क्या… भारतीय बाजारों की चाल इस हफ्ते वैश्विक संकेतों से ही तय होगी
घरेलू बाजार की चाल इस हफ्ते वैश्विक बाजारों से ही तय होगी। उसके बाद केंद्रीय बजट बाजार की दिशा तय करेगा। बाजार में गिरावट बनी रही तो रिटेल निवेशकों के लिए यह सुनहरा मौका साबित हो सकता है। आम लोगों को हर गिरावट में अच्छी कीमत पर मिल रहे लार्ज कैप कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करते रहना चाहिए।’ -विनोद नायर, हेड ऑफ रिसर्च, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज
2. रूस-यूक्रेन में तनाव
रूस-यूक्रेन की जंग में अमेरिका कूद चुका है। इसी से दुनिया चिंतित है। रूस यूक्रेन को नाटो की सदस्यता देने का विरोध कर रहा है। वह सेनाएं उतार चुका है। उसे लगता है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बना तो नाटो के ठिकाने उसकी सीमा तक पहुंच जाएंगे।
4. एफपीआई बिकवाली
भारत से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) लगातार बिकवाली कर रहे हैं। वे 19 से 24 जनवरी के बीच बाजार से 10,358 करोड़ रु. निकाल चुके हैं। 24 जनवरी को 3,133.65 करोड़. और 21 जनवरी को 4,471.89 करोड़ रु. निकाले।
1. क्रूड में तेजी बरकरार
कच्चे तेल का वायदा भाव 88.76 डॉलर/ बैरल पहुंच चुका है। यह 30 अक्टूबर 2014 के बाद, यानी 7 साल में इसका सबसे ऊंचा स्तर है। इससे कोरोना महामारी से जूझ रही विश्व अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।
3. फेड रिजर्व ब्याज दरें
अमेरिका में रिटेल महंगाई दर दिसंबर 2021 में 7% की दर से बढ़ी है, जो जून 1982 यानी करीब 40 साल में सबसे अधिक है। अमेरिका में महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत दे चुका है।

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