अमेरिका-रूस सहित दुनियाभर में डिजिटल करंसी पर सख्ती बढ़ रही है। भारत में सरकार डिजिटल करंसी के नियमन काे लेकर कानून बनाने पर मंथन कर रही है। तैयारी यह है कि रिजर्व बैंक के जरिए ही डिजिटल करंसी अधिकृत हो। अमेरिका में बाइडेन प्रशासन अगले महीने तक डिजिटल असेट्स के लिए रणनीति जारी करने वाला है। वह फेडरल एजेंसियाें से डिजिटल असेट्स के जाेखिम अाैर अवसराें का अाकलन करने काे कहेगा। दूसरी ओर, रूस में भी केंद्रीय बैंक क्रिप्टाे करंसी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। पिछले साल चीन, मिस्र, ईराक, कतर, ओमान, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और बांग्लादेश ने क्रिप्टाे करंसी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि 42 देश अभी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्रिप्टो करेंसी को अवैध मानें या नहीं। ये ऐसे देश हैं जिनका क्रिप्टो करेंसी में निवेश है।
सख्ती क्यों… वित्त व्यवस्था को खतरा
ज्यादातर देश क्रिप्टो करेंसी को वित्तीय व्यवस्था के लिए खतरा और इसे अवैध वित्तीय लेन-देन मानते हैं। रूसी बैंक का कहना है कि इससे माैद्रिक नीति का महत्व कम हाेता है। यह देश के पर्यावरण एजेंडे काे नुकसान पहुंचाता है अाैर एनर्जी सप्लाई के लिए भी खतरा है। वहीं यूराेपियन सेंट्रल बैंक की प्रमुख क्रस्टीन लैगार्डे ने बिटकाॅइन काे मनी लाॅन्ड्रिंग से जुड़ा अाैर सट्टेबाजी बढ़ाने वाला बताया। अमेरिकी वित्त मंत्री जैनेट येलेन का मानना है कि क्रिप्टाे करंसी अवैध लेन-देन के लिए है।
प्रतिबंध का विराेध क्यों…
टेलीग्राम मैसेजिंग एप के सीईअाे पावेल दुराेव का कहना है कि क्रिप्टाे करंसी पर राेक टेक्नालाॅजी उद्याेग खत्म कर देगी। अाईटी प्राेफेशनल देश के बाहर जाएंगे। लेक्ट्राॅनिक्स फ्रंटियर्स फाउंडेशन के डायरेक्टर डैनी अाे ब्रिएन का कहना है कि सरकाराें द्वारा प्रतिबंध लगाने में देरी आश्चर्यजनक है। क्रिप्टाे घाेटाले 2020 में 40% बढ़े, जो आगे और बढ़ेंगे।