62 साल से ऑस्ट्रेलियाई फ्लिप ओ’कीफ सिर्फ सोच कर दिमाग में आए विचार को ट्विटर में बदल दिया संदेश में उन्होंने….

62 साल से ऑस्ट्रेलियाई फ्लिप ओ’कीफ सिर्फ सोच कर सोशल मीडिया पर मैसेज भेजने वाले दुनिया के पहले शख्स बन गए हैं उन्होंने अपने दिमाग में आए विचार को ट्विटर में बदल दिया संदेश में उन्होंने लिखा, ‘अब कीस्ट्रोक (की- बोर्ड पर टाइपिंग या कुछ कहना जरूरी नहीं या मैसेज मैंने सिर्फ सोच कर बनाया है ओ’कीफ के मस्तिष्क में लगाए गए पेपर क्लिप जीतने छोटे से इम्प्लांट से यह संबंध हो पाया है उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह लकवा ग्रस्त है वह पिछले 7 साल से एमोट्रॉपिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) से पीड़ित है इसके चलते ऊपरी अंगों को हिलाने डुलाने में असमर्थ है यह मोटर न्यूरॉन डिसीज का ही एक प्रकार है कैलिफोर्निया स्थित न्यूरोवस्कूलर और बायोइलेक्ट्रॉनिक मेडिसिन कंपनी सिंक्राॅन द्वारा बनाया गए ब्रेन कंप्यूटर इंटर प्रेस ‘स्टेंट्रोड’ से ओ’कीफ जैसे लाखों लोगों की जिंदगी बदल जाएगी यह टेक्नोलॉजी सिर्फ सोच के जरिए कंप्यूटर पर काम करने की सहूलियत देती है ओ’कीफ बताते हैं यह सिस्टम हैरानी भरा यानी बाइक चलाना सीखने जैसा है इसके लिए प्रैक्टिस की जरूरत पड़ती है एक बार जब आप अभ्यस्त हो जाते है तो यह आसान हो जाता है अब मैं सिर्फ सोचता हूं कि कहां क्लिक करना है अब इसके बाद बैकिंग , खरीदारी ईमेल भेजना आसानी से हो जाता है फिलिप्स ने मैसेज भेजने के लिए सिंक्राॅन सीईओ थाॅमस आॅक्सली का टि्ववर हैंडल इस्तेमाल किया था बकौल आॅक्सली, फिलिप के यह रोचक संदेश इंप्लांटेबल ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस के लिए महत्वपूर्ण माइलस्टोन है स्टेंट्रोड का इस्तेमाल करने वाले मरीजों की क्लिक करने की सटीकता 93% है वह हर मिनट 14 से 20 अक्षर टाइप कर सकते हैं।

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