जम्मू में आतंकी हमला कितना खतरनाक?, जितने आतंकी नहीं मरे सके उससे ज्यादा सैनिक की हुई कुर्बानी

नई दिल्ली : जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं में इजाफा हुआ है। सोमवार को डोडा में आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में एक मेजर समेत 4 सैन्यकर्मियों की मौत हुई। उससे एक हफ्ते पहले कठुआ में सेना के 2 ट्रकों पर आतंकी हमले में 5 जवानों ने बलिदान दिया।

इस साल अबतक जम्मू क्षेत्र में आतंकी हमले में 11 सैन्यकर्मी सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। इसमें इंडियन एयर फोर्स का भी एक जवान शामिल है। दूसरी तरफ, इस साल जम्मू रिजन में अबतक सिर्फ 5 आतंकी ही मारे गए हैं

यानी इस साल अबतक जम्मू क्षेत्र में जितने आतंकी मारे गए हैं, उससे करीब दोगुने सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में 2021 के बाद तेजी आई है। तब से लेकर अबतक 34 सैनिक सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं जबकि इसी अवधि में 40 आतंकी मारे गए हैं।

अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और सूबे के 2 केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजन के बाद घाटी में तो आमतौर पर शांति है, लेकिन जम्मू क्षेत्र में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं। खासकर, 2021 के बाद पीर पंजाल की पहाड़ियों के दक्षिण के इलाकों में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं।

सुरक्षा बलों के साथ-साथ सिविलियंस पर आतंकी हमले बढ़े हैं।जम्मू क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी की एक वजह लोकल और ग्राउंड लेवल इंटेलिजेंस में कमी को भी माना जा सकता है।

हालांकि, आतंकियों ने अब लोकल स्तर पर लॉजिस्टिक सपोर्ट नहीं ले रहे हैं और छिपने के लिए गुफाओं और जंगलों का इस्तेमाल कर रहे हैं, न कि किसी स्लीपर सेल के यहां पनाह ले रहे हैं। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन आतंकी हमलों का नेतृत्व पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड सैनिकों की तरफ से किया जा रहा है।

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