साहित्य-संस्कृति, शिक्षा-समाज आदि विषयों पर होगा विचार-विनिमय

भोपाल। मप्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का प्रतिष्ठित आयोजन पावस व्याख्यान माला आगामी 3 और 4 अगस्त को हिंदी भवन में होने जा रहा है। समिति द्वारा हर वर्ष आयोजित किये जाने वाले इस सारस्वत आयोजन का यह लगातार 29 वां वर्ष है। दो दिनी आयोजन में साहित्य, संस्कृति,समाज,शिक्षा आदि से जुड़े विषयों पर देश भर के विद्वान विचार-विनिमय करेंगे।
समिति के मंत्री संचालक कैलाशचंद्र पंत ने बताया कि व्याख्यान माला का शुभारंभ 3 अगस्त शनिवार सुबह 10 बजे से होगा। इस सत्र में समिति के अध्यक्ष सुखदेव प्रसाद दुबे स्वागत् वक्तव्य देंगे। इसके तत्काल बाद पहले सत्र में ‘साहित्यालोचन की नई दिशाएं’ विषय पर खेमसिंह डेहरिया की अध्यक्षता में वक्तव्य होंगे। सत्र में अनंत विजय,डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय,प्रो. के वनजा के वक्तव्य होंगे।
इसी दिन दोपहर 3 बजे से होने वाले सत्र में डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित की अध्यक्षता में ‘मूल्य आधारित शिक्षा में साहित्य की भूमिका’ विषय पर वक्तव्य होंगे। इस सत्र में प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज,मनोज श्रीवास्तव,प्रो. मुक्ति शर्मा के व्याख्यान होंगे।
दूसरे दिन 4 अगस्त को सुबह 10:30 बजे से साहित्य, संस्कृति और समाज के हाशिए विषय पर वक्तव्य होंगे। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. श्रीराम परिहार करेंगे। वक्ता के रूप में प्रो. दयानंद पांडेय,प्रो. डीएन प्रसाद,प्रो. बृजेन्द्र कुमार गौतम उपस्थित रहेंगे। समापन सत्र में दोपहर 3 बजे से भारत बोध और साहित्य में भावी भारत की परिकल्पना विषय पर प्रो. अंबिकादत्त शर्मा की अध्यक्षता में डॉ. शिवमंगल कुमार,प्रो. देवांशु झा,प्रो. ऊषारानी राव, प्रो. संजय द्विवेदी के व्याख्यान होंगे। समिति के सहमंत्री डॉ. संजय सक्सेना ने पावस व्याख्यान माला में शहर के साहित्यकारों तथा प्रबुद्धजनों से शामिल होने का आग्रह किया है।
इन पुस्तकों का होगा लोकार्पण
कार्यक्रम में पुस्तकों के लोकार्पण भी होंगे। पिछली पावस व्याख्यानमाला के दस्तावेज संवाद और हस्तक्षेप तथा लेखिका जया केतकी शर्मा की किताब यादों की सडक़ों पर आवाजाही का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया जाएगा।

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