भोपाल में कल निकलेगी भगवान श्रीजगन्नाथ की भव्य रथयात्रा, इस्कॉन मंदिर ने तैयार कराया विशेष रथ

इस्कॉन मंदिर पटेल नगर द्वारा रथयात्रा के लिए एक भव्य रथ का निर्माण किया गया है। इसकी बनावट पुरी में स्थित श्रीजगन्नाथ भगवान के नंदीघोष रथ के आधार पर की गई है। रथयात्रा में भगवान श्री जगन्नाथ, बलदेव एवं सुभद्रा महारानी विराजमान होंगे।

Bhopal News: Bhopal tomorrow will be the grand Rath Yatra of Lord Jagannath, ISKCON temple prepared a special

भोपाल में शनिवार को निकलेगी भव्य जगन्नाथ रथयात्रा 

पटेल नगर स्थित इस्कॉन मंदिर द्वारा शनिवार को  विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव मनाया जा रहा है। भोपाल में यह रथयात्रा उत्सव इस्कॉन मंदिर द्वारा दसवी बार आयोजित होने जा रहा है। शहर के मुख्य मार्गों से निकलने वाली यह रथयात्रा भोपाल टॉकीज से शाम 4 बजे प्रारंभ होगी।  यात्रा हमीदिया रोड, भारत टाकीज, रोशनपुरा चौराहा से होते हुए माता मंदिर के पास प्लेटिनम प्लाजा पहुंचेगी, जहां पर समापन होगा। यात्रा में लगभग 20 हजार भक्तों के सामिल होने की संभावना है। यात्रा में भाग लेने हेतु होने देश-विदेश से भी भक्तगण पधारेंगे । 
इस बार रथयात्रा के लिए एक भव्य रथ का निर्माण किया गया है। इसकी बनावट पुरी में स्थित श्रीजगन्नाथ भगवान के नंदीघोष रथ के आधार पर की गई है। रथयात्रा में भगवान श्री जगन्नाथ, बलदेव एवं सुभद्रा महारानी विराजमान
रथयात्रा के दौरान, श्रद्धालु अपने हाथों से रस्सी द्वारा रथ को खींचेंगे। पूरे रथयात्रा के समय पारंपरिक हरे कृष्ण महामंत्र का संकीर्तन तथा प्रसाद वितरण होता रहेगा। मंदिर के गृहस्थ भक्तों द्वारा 300 किलो खाजा प्रसाद बनाया गया है, जो यात्रा के समय वितरित किए जाएंगे। भगवान जगन्नाथजी की संध्या आरती के साथ उत्सव का समापन होगा और उसके बाद 5000 भक्तों के लिए महाप्रसाद का आयोजन किया गया
रथयात्रा के लिए एक विशेष रथ का निर्माण 3 माह की अवधि में किया गया है। रथ की ऊंचाई 27 फीट, चौड़ाई  17 फीट और लंबाई 24 फीट है।  रथ का फाउंडेशन लोहे से एवं बेस और कैनोपी के लिए सागौन की काष्ठ का उपयोग किया गया है। जिसमें लगभग 2 टन लोहा और 50 घन फिट सागौन की काष्ठ लगी है। लकड़ी पर सुंदर नक्कासी एवं कैनोपी में कपड़े का कार्य भी मनमोहक होगा। रथ में काष्ठ से बने 6 फिट के विशालकाय पहिया लगे हैं । रथ की उच्चता को हाइड्रोलिक लीवर के माध्यम से कम या ज्यादा किया जा सकता है। 
श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा उत्सव हजारों हज़ारों वर्ष पुरानी परंपरा है। इसका वर्णन स्कंध पुराण, पद्म पुराण तथा अन्य कई पुराण में मिलता है। शास्त्र में वर्णन है, कि रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से जीव जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। रथयात्रा एक विशेष उत्सव है, जहां स्वयं भगवान अपने भक्तों की प्रसन्नता के लिए, उनसे प्रेम की आदान प्रदान करने हेतु, मंदिर के बाहर दर्शन देने आते हैं। उनके दिव्य दर्शन पाकर भक्त तृप्त होते हैं और भगवान की शुद्ध प्रेमभक्ति और सेवा के लिए प्रार्थना करते हैं।  
आज विश्व के हर देश, हर बड़े शहरों में श्री जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मनाया जाता है। इसका विशेष श्रेय अंतराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के संस्थापक आचार्य अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद जी को जाता है। जिन्होंने पहली बार भारत के बाहर, अमेरिका के सानफ्रांसिस्को सहर में सन् 1967 में रथयात्रा उत्सव का आयोजन किया था। आज इस्कॉन संस्था का परिचय एक विशाल अंतराष्ट्रीय भक्ति संगठन के रूप में  है, जिसमे सैकड़ों मंदिर, आश्रम, कृषि समुदाय तथा वैदिक गुरुकुल सम्मिलित हैं। आज पूरे विश्व में,  इस्कॉन के 1000 से भी ज्यादा श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर हैं। इस्कॉन श्रीमद भगवद गीता तथा श्रीमद भागवतम की शिक्षाओं पर आधारित हैं। समस्त विश्व में, प्रेमावतार श्री चैतन्य महाप्रभु के द्वारा प्रदर्शित मार्ग द्वारा शुद्ध कृष्णभक्ति का प्रचार करना इस्कॉन का लक्ष्य है।

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