Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810
पहली मुलाक़ात में किसी के बारे में धारणा बनाते समय हम उनके बोलने के अंदाज़ को बहुत अहमियत देते हैं.
इतना ही नहीं बल्कि हम अपने जीवन के हर पहलू में इस बात को बहुत महत्व देते हैं.
हम राजनेताओं को, अपने दोस्तों को, यहाँ तक कि अपने पार्टनर्स को भी उनके लहजे और उनके बोलने के तरीक़े के आधार पर चुनते हैं.
ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी आवाज़ हमारे बारे में हमारी सोच से भी बहुत ज़्यादा जानकारी देती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ मोंटपेलियर में भाषा विज्ञान की शोधकर्ता मेलिसा बरकत डिफ्राड्स का कहना है कि आप अपनी आवाज़ के ज़रिये शब्दों को बोलते हैं और इसके ज़रिये जानकारियां भी साझा करते हैं, लेकिन इसके अलावा यह न केवल आपके बायोलॉजिकल स्टेटस के बारे में बताती है, बल्कि आपके सामाजिक रुतबे के बारे में भी बताती है.
“इससे यह भी पता चलता है कि आप क्या करते हैं और आप आर्थिक रूप से कहाँ खड़े हैं.”
‘इससे मानसिक स्वास्थ्य समेत आपके पूरे स्वास्थ्य के बारे में भी पता चलता है. यानी आपकी आवाज़ की गुणवत्ता आपके बारे में यह सारी जानकारी देती है.’
लोगों की आवाज़ों में बहुत ही मामूली सा अंतर होता है जो आप तुरंत एक सेकंड के 10वें हिस्से से भी कम समय में महसूस कर लेते हैं और आप उस व्यक्ति के बारे में धारणा बना लेते हैं.
लेकिन आवाज़ की गुणवत्ता के बारे में वो कौन सी चीज़ है, जिसे हम ख़ास तौर से देखते हैं? या, उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति की आवाज़ से हम उसे अपना नेता कैसे चुन लेते हैं?
इस बारे में चुनाव परिणाम यह इशारा देते हैं कि गहरी आवाज़ वाले ज़्यादातर उम्मीदवार चुनाव जीत जाते हैं.
जिन लोगों की आवाज़ भारी होती है उन लोगों को अधिक सक्षम, नौकरी के लिए ज़्यादा योग्य और अधिक भरोसेमंद माना जाता है.
आवाज़ बढ़ाती है लोकप्रियता
दिलचस्प बात यह है कि हमारे वातावरण के कारण भी हमारी आवाज़ और लहजे में बदलाव होता है. हम आमतौर पर एक दूसरे की मिमिक्री भी करते हैं और ऐसे दोस्त चुनते हैं, जिनकी आवाज़ और लहजा हमसे मिलता हो.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ ल्योन की बायो बायोकौस्टेशन कटारजीना पिसासिंकी का कहना है कि ‘आम बातचीत में हमारे लिए यह सामान्य बात है कि हम अपनी आवाज़ और लहजे को दूसरे व्यक्ति की बातचीत के अनुसार बदलते हैं.
अगर कोई धीरे बात कर रहा है तो हम भी धीरे बोलेंगे. अगर कोई तेज़ी से बात कर रहा है, तो हम भी ऐसे ही बात करेंगे. यह हमारे अंदर एक ख़ासियत मौजूद होती है जो हमें दूसरों के साथ बातचीत करने में मदद करती है.’
इस बारे में रोमांटिक आकर्षण के बारे में, क्या हम यह कह सकते हैं कि कुछ लहजे दूसरों की तुलना में अधिक आकर्षक होते हैं?
काफ़ी समय तक यह सोचा जाता था कि जिस तरह से भारी आवाज़ राजनेताओं को लोकप्रिय बना देती है, उसी तरह इसकी वजह से पुरुष भी आकर्षक हो जाते हैं.
मेलिसा बरकत डिफ्राडस कहती हैं कि “पुरुषों में मौजूद टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उनकी आवाज़ के भारीपन से विपरीत संबंध है, यानी अगर किसी की आवाज़ भारी है तो उसके अंदर टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम है.”
“हम जानते हैं कि टेस्टोस्टेरोन से पुरुषों को बहुत फ़ायदा होता है. यहाँ तक कि उनकी प्रजनन क्षमता भी इसमें शामिल है.” अगर किसी पुरुष की आवाज़ भारी है, तो उसे अधिक यौन साथी मिलेंगे और उसके यहाँ बच्चे भी ज़्यादा पैदा हो सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि अपनी आवाज़ में भारीपन के ज़रिये यानी लहजे और आवाज़ के ज़रिए एक पुरुष अपने साथी को अपनी क्षमता का संकेत दे सकता है. इसका मतलब यह है कि उस व्यक्ति का इम्यून सिस्टम भी अच्छा है और वह बहुत आक्रामक और प्रभावशाली है और उसके पास नेतृत्व कौशल भी मौजूद है.’
महिलाओं को आकर्षित करती है भारी आवाज़?
यही कारण है कि आजकल बायोलॉजिस्ट कहते हैं कि भारी या गहरी आवाज़ महिलाओं को आकर्षक लगती हैं. इस परिकल्पना के आधार पर, क्या हम यह सिद्ध कर सकते हैं कि वह क्या चीज़ है, जो महिलाओं की आवाज़ को आकर्षक बनाती है?
जब दुनिया भर में अलग-अलग आवाज़ों की जांच की गई, तो पाया गया कि ऐसी महिलाएं जिनकी आवाज़ की पिच ज़्यादा होती है, उन्हें जल्दी पार्टनर मिलते हैं.
यह भी सच है कि युवतियों की आवाज़ की पिच ज़्यादा होती है और इससे ज़ाहिर होता है कि इससे उनकी उम्र और उनकी ख़ूबसूरती के बारे में भी पता चलता है.
इस संबंध में हुए शोध में यह बात भी सामने आई है कि महिलाएं डेट्स पर अपनी आवाज़ की पिच बढ़ाती थीं लेकिन पिछले कुछ सालों में कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि इसमें बदलाव आ रहा है. यानी महिलाएं किसी आकर्षक व्यक्ति के सामने अपनी आवाज़ हल्की कर लेती हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ ल्योन में एक बायोकौस्टेशन कटारजीना पिसासिंकी ने एक अध्ययन किया जिसमें कुछ महिलाओं ने एक निश्चित व्यक्ति से छह मिनट तक बात की और उनके पास उस व्यक्ति को पसंद नापसंद करने के लिए एक डिवाइस मौजूद थी. इसके अलावा उनकी आवाज़ भी रिकॉर्ड की जा रही थी.
कतार्ज़ीना पिसांस्की ने अपनी आवाज़ों की तुलना उनकी ख़ुद की आवाज़ की बेसलाइन से की और उन्हें यह रिज़ल्ट मिला कि जो पुरुष उन्हें पसंद आये उनके सामने उन्होंने अपनी आवाज़ हल्की कर ली और जो लोग पसंद नहीं आए उनके सामने अपनी आवाज़ की पिच ऊंची कर ली.
उन्होंने यह भी पाया कि पुरुषों ने भी ऐसी महिलाओं को ज़्यादा पसंद किया जिनकी आवाज़ कोमल थी.
इसी तरह के एक अन्य अध्ययन में फ्रांसीसी पुरुषों और महिलाओं की आवाज़ों की जांच की गई और पाया कि फ्रांसीसी पुरुषों को वो महिलायें ज़्यादा आकर्षक लगीं, जिनकी आवाज़ गहरी थी या कम पिच वाली थी.
मेलिसा बरकत डिफ्राड्स कहती हैं, “लंबे समय तक हम इस भ्रम में रहे और अब हमें इस बारे में सांस्कृतिक तौर पर बदलाव भी दिखाई दे रहा है, जो बहुत दिलचस्प है क्योंकि जो चीज़ हमने फ्रांसीसी पुरुषों में देखी, वह मैंने इससे पहले अन्य संस्कृतियों में नहीं देखी.’