स्मार्ट सिटी में 1500 करोड़ रुपये खर्च, जनता को नहीं मिल रहा लाभ 342 एकड़ का एबीडी प्रोजेक्ट अधूरा, पैन सिटी का सपना भी नहीं हुआ पूरा
news reporter surendra maravi 9691702989
भोपाल। राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अधिकारियों ने मनमर्जी तरीके से 1500 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। टीटी नगर के आसपास स्मार्ट शहर बसाने के लिए पूरानी बसाहट उजाड़ दी। हजारों की संख्या में लोग बेघर भी हो गए। इसके बावजूद जनता को स्मार्ट सिटी का लाभ नहीं मिल रहा है। एबीडी प्रोजेक्ट के तहत अब तक ना तो 342 एकड़ में स्मार्ट सिटी बन पाई और ना ही पैन सिटी बनाने का सपना पूरा हुआ।
बतादें कि देश के शहरों में आर्थिक विकास की दर बढ़ानें और बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए जून 2015 में स्मार्ट सिटी योजना का शुभारंभ किया गया था। इसके तहत भोपाल में टीटी नगर क्षेत्र को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चयनित किया गया था। शहर को स्मार्ट बनाने के लिए दो श्रेणियों में विकास होना था। पहला टीटी नगर की 342 एकड़ जमीन पर एरिया बेस्ड डेवलमेंट के तहत आवासीय और व्यवसायिक परिसर बनाकर रहवासियों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराना था। यहां रोजगार के साथ लोगों को रहने के लिए सर्वसुविधायुक्त शहर बनाना था। वहीं पैन सिटी के तहत हेरिटेज प्रोजेक्ट, स्मार्ट पार्क, आर्च ब्रिज, अधोसंरचना विकास और सामाजिक सुरक्षा को बेहतर बना था। लेकिन जनता की हजारों करोड़ रुपये की गाढ़ी कमाई खर्च होने और प्रोजेक्ट को सात वर्ष से अधिक का समय बीतने के बाद भी जनता को स्मार्ट सिटी का फायदा नहीं मिला। जबकि स्मार्ट सिटी बनाने के लिए मई 2023 तक की समयसीमा निर्धारित की गई है। इसके बाद केंद्र से अनुदान मिलना भी बंद हो सकता है।
स्मार्ट सिटी में होना थो ये काम, लेकिन नहीं हुए पूरे
आवासीय क्षेत्र 70 प्रतिशत, व्यावसायिक क्षेत्र 30 प्रतिशत , साइकिल लेन, चौड़ी सड़कें, 24 घंटे बिजली व पानी, आटोमेटेड कचरा प्रबंधन, सभी वर्गों के लिए आवास, गैस पर आधारित पावर प्लांट, सौर ऊर्जा के प्लांट, स्मार्ट मीटरिंग, हाई स्पीड इंटरनेट, स्मार्ट पार्किंग, आधुनिक सुरक्षा उपकरण और सीसीटीवी कैमरे से निगरानी।
ये काम हुए असफल
स्मार्ट सिटी के द्वारा दस करोड़ रुपये खर्च कर शहर के एक दर्जन से अधिक स्थानों पर स्मार्ट पार्किंग बनाई गई थी, लेकिन यह भी अधिकारियों के गड़बड़ियों की भेंट चढ़ गई।वहीं पांच करोड़ खर्च करने के बाद भी सदर मंजिल आकर्षण का केंद्र नहीं बन सकी है। तीन करोड़ रुपये से बनाए गए साइकिल स्टेशन के उपकरण टूट रहे हैं। ट्रैक पर गड्ढे और अतिक्रमण हैं। रोजाना गिने-चुने राइडर ही इस्तेमाल कर रहे हैं। 20 करोड़ रुपये खर्च कर आइटीएमएस कमांड सेंटर बनाया गया था। लेकिन स्पीड और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के अलावा कोई चालान जनरेट नहीं हो रहे हैं। हर सड़क पर ट्रैफिक पुलिस के चैकिंग प्वाइंट लगे हैं। 640 करोड़ रुपये खर्च कर 100 स्मार्ट पोल लग चुके हैं, लेकिन किसी भी पोल में एनवायर्नमेंट सेंसर और साइन बोर्ड नहीं दिख रहा है।
इनका कहना
स्मार्ट सिटी का काम जल्द ही पूरा होगा।केंद्र सरकार से मिला बजट खत्म हो चुका है। अब हम अपने ससांधनों से राजस्व जुटा रहे हैं। इसी से आगे स्मार्ट सिटी का विकास होगा।