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संचालक शासकीय चिकित्सक ने दो यूनिट ब्लड के लिए मांगे 24 हजार रुपये
मनुष्यों की तरह बीमार होने पर पालतू पशुओं को भी रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, लेकिन देश में पशुओं के रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ़्यूजन) से लेकर ब्लड बैंक संचालित करने के लिए नियम ही नहीं है। इसकी आड़ में कुछ लोगों ने इसे मोटा लाभ कमाने का जरिया बना लिया है।
नतीजा, इंसानों से महंगा बिक रहा है पालतू पशुओं खासकर कुत्तों का खून। प्रदेश की राजधानी भोपाल में ही ऐसे खून की मनमानी खरीद-फरोख्त हो रही है। नियमों से परे चलने वाले इस बाजार में कुत्ते के एक यूनिट खून की कीमत है 12 हजार रुपये।
नईदुनिया पड़ताल की तो कोलार क्षेत्र में लिल पाज नाम से डाग क्लीनिक में कुत्तों का खून बेचने का धंधा चलता मिला। इस अस्पताल का संचालन कोई और नहीं, बल्कि राज्य पशु चिकित्सालय में पदस्थ डा. मुकेश तिवारी कर रहे हैं। नईदुनिया के स्टिंग में उन्होंने दो यूनिट खून के लिए 24 हजार रुपये की मांग की और दो घंटे में किसी भी रक्त समूह का रक्त उपलब्ध करा देने का दावा किया। डा. तिवारी से यह पूछा गया कि दो घंटे में खून कहां से लाएंगे, कैसे लाएंगे तो इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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इनका कहना है
किसी भी कारण रक्तस्राव, एनीमिया व दुर्घटना के मामलों में पालतू पशुओं को भी रक्त की जरूरत पड़ जाती है। ऐसा मामला होने पर जानवरों के ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए कोई नियम नहीं है, कुछ निजी अस्पताल इस तरह की सेवाएं चलाने लगे हैं। इस संबध में कानून बनाने की जरूरत है।
– डा. जयंत तापसे, उपसंचालक, पशुपालन विभाग।
वर्तमान में देश में पशुओं की चिकित्सा के ही कोई न्यूनतम मानक तय नहीं है। इसके चलते कुछ लोग इसका गलत फायदा भी उठा रहे हैं। ऐसा कोई मामला हमारे संज्ञान में आता है तो उसे देखेंगे। दरअसल समस्या इतनी छोटी नहीं है। वर्तमान में हम ऐसी महामारी से जूझ रहे हैं जो पशुओं से आई है। मनुष्यों में 75 प्रतिशत बीमारियां पशुओं से आ रही हैं। ऐसे में ह्यूमन और पेट्स के वन हेल्थ कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है। काउंसिल ने मिनिमम स्टैंडर्ड पर काम किया है। मानक तय हो जाने से गड़बड़ियां रुकेंगी।