इनमें सफलता भी मिल रही है। कल तक जिन किसानों को खेत-खलियान की जानकारी देने के लिए विज्ञानिक और सलाहकार को लंबा सफर कर गांव-गांव तक जाना पड़ता था। आज उन तक इंटरनेट मीडिया और एसएमएस के जरिए पहुंचा जा रहा है। इस काम में लगे जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानिकों को बेहतर परिणाम मिले हैं। विश्वविद्यालय में आने वाले प्रदेश के 25 जिलों के लगभग 10 लाख से ज्यादा किसानों को एमएसएम और वाट्सग्रुप के जरिए जोड़ा गया है। इन किसानों के मोबाइल पर खेती-किसानी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी और सलाह चंद मिनट में पहुंच रही है। इसकी मदद से किसान समय रहते अपनी फसलों को बचा रहे हैं।
बढ़ते-घटते तापमान से फसल बचाने में मदद
जबलपुर समेत आसपास के जिलों में हाल ही में दलहन फसलों को बढ़ते-घटते तापमान से नुकसान हुआ। कई किसान ऐसे थे, जिनकी फसलों को समय रहते उपचार कर बचाया जा सकता है। इस पर जनेकृविवि के एक्सटेंशन विभाग और कृषि विज्ञान विज्ञान के विज्ञानिकों ने समय पर किसानों को एसएमएस के जरिए सलाह दी। किसानों के मोबाइल पर एसएमएस और वाट्सअप ग्रुप में विज्ञानिकों ने सलाह जारी की गई। किसानों को बताया कि दलहनी फसलों की जड़ में सूखेपन और मिट्टी में खनिज लवण की कमी से आ रही इस समस्या को दूर करने रसायनिक छिंडकनी की जानकारी दी। किसानों ने इस सलाह को तत्काल उपयोग कर अपनी फसलों को भारी नुकसान से बचाया।PauseUnmute
कडाउन में दी लाखों को जानकारी
कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद लगे लाकडाउन में जनेकृविवि के कृषि विज्ञान केंद्र में पंजीकृत लाखों किसानों के मोबाइल नंबर काम आए। कृषि विवि ही नहीं बल्कि कृषि विभाग, प्रशासन और पुलिस ने इस नंबर की मदद से संबंधित किसानों को लाकडाउन के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी दी। इधर कृषि विज्ञानिक, किसानों से एसएमएस के माध्यम से जुड़े रहे। जिस वक्त किसान, गांव से बाहर नहीं आ रहे थे, उस समय एसएमएस पर कृषि विज्ञान से मिलने वाली सलाह किसानों के लिए महत्वपूण थी। इस सलाह से हजारों किसानों ने अपनी फसल बचाई।
– 25 जिलों के 25 कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी और तकनीकी सहायक इस काम में जुटे हैं।
– इन विज्ञानिकों ने हर जिलों के किसानों के मोबाइल नंबर रखकर आनलाइन रजिस्ट्रर किया है।
– हर जिले में लगभग 30 से 40 हजार किसान, ग्रामीण, व्यापारी और मंडी से जुड़े लोग हैं।
– कम्प्यूटर सिस्टम की मदद से समय-समय पर इन्हें मौसम, रसायनिक, सीड जानकारी देते हैं।
– एक साल में लगभग हजारों किसानों को ये एसएमएस पहुंचते हैं, जिसे वह पढ़कर उपयोग करते हैं।
ऐसे जुड़े नंबर
– कृषि विवि, कृषि विभाग के मेले में आने वाले किसानों के पंजीयन में दिए मोबाइल नंबर।
– भ्रमण के लिए आने वाले किसानों के माेबाइल नंबर एकत्रित किए गए।
– जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में पंजीयकृत किसानों के भी नंबर लिए।
– सीड लेने के लिए विवि और विभाग पहुंचने वालों को नंबर लिए।
कृषि विवि के विज्ञानी जो शोध करते हैं, वह किसानों तक पहुंचे, यह महत्वपूर्ण हैं। विवि के कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े लाखों किसानों तक हम उन तक खेत-खलियान से लेकर मौसम से जुड़ी हर जानकारी दे रहे हैं, जिससे उन्हें खेती करने में आसानी होती है। लगातार हम प्रयास कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को यह सलाह समय पर पहुंचे।
डा. पीके मिश्रा, कुलपति, जनेकृविवि
– डायरेक्टर एक्सटेंशन विभाग की सीमा में प्रदेश के 25 कृषि विज्ञान केंद्र आते हैं। यहां के किसानों को फसल, मौसम, सीड, रसायनिक समेत कृषि की हर छोटी-बड़ी जानकारी उन्हें उनके मोबाइल नंबर पर एसएमएस और वाट्सअप ग्रुप द्वारा दी जा रही है। यह जानकारी चंद सेकेंड में लाखों किसानों तक पहुंच जाती है।
दिनकर शर्मा, डायेक्टर एक्सटेंशन, जनेकृविवि