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एनटीसीए ने 7 दिसंबर को मध्य प्रदेश वन विभाग से अर्जेंट बेसिस पर जांच प्रतिवेदन देने को लिखा। साथ ही लेटर को ईमेल कर दिया। इस पत्र पर 13 दिसंबर को अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षण वन्य प्राणी मध्य प्रदेश ने मुख्य वन संरक्षक को लेकर जांच प्रतिवेदन मांगा।
देश के टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में वर्ष 2022 में 33 बाघ की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता खत्म नहीं हो रही है। फांसी लगाकर शिकार मामले के साथ ही एक साल पहले पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ हीरा का शिकार मामला फिर उठ गया है। इस मामले में शिकायत पर केंद्र सरकार के मध्य प्रदेश वन विभाग को अर्जेंट दोबारा जांच करने के लिए लिखा। इसके बावजूद मध्य प्रदेश वन विभाग ने सात दिन तक लेटर दबा कर रखा। फिर पन्ना सीसीएफ से जांच प्रतिवेदन मांगा हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) भारत सरकार को वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने शिकायत की थी। इसमें पन्ना में बाघ का फांसी लगाकर शिकार मामले के साथ ही सतना में ही पन्ना टाइगर रिजर्व के 2021 में बाघ हीरा के शिकार की जांच का चुनौती देते हुए दोबारा जांच कराने की मांग की थी। इस पर एनटीसीए ने 7 दिसंबर को मध्य प्रदेश वन विभाग से अर्जेंट बेसिस पर जांच प्रतिवेदन देने को लिखा। साथ ही लेटर को ईमेल कर दिया। इस पत्र पर 13 दिसंबर को अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षण वन्य प्राणी मध्य प्रदेश ने मुख्य वन संरक्षक को लेकर जांच प्रतिवेदन मांगा। अर्जेंट बेसिस पर कार्रवाई करने के केंद्र सरकार के पत्र को एक सप्ताह तक दबाने पर ही वन विभाग के अधिकारियों की उदासीन रवैए पर सवाल उठ रहे हैं।
बता दें पन्ना में 6 दिसंबर को फांसी लगाकर बाघ का शिकार करने का मामला सामने आया था। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आपात बैठक बुलाकर अधिकारियों से जानकारी मांगी थी। टाइगर स्टेट में बाघ के शिकार से प्रदेश हड़कंप मंच गया था। इससे पहले 2021 में पन्ना टाइगर रिजर्व के ही बाघ हीरा का शिकार कर लिया गया था। सैटलाइट कालर वीएचएफ आईडीपी 234-31 पहने टाइगर का सतना में शिकार किया गया था। उसका शिकारियों ने कॉलर आईडी निकाल कर फेंक दिया था। अब इसकी जांच नए सिरे से करने की मांग उठ रही है। मध्य प्रदेश में करीब 526 बाघ है। 2022 में पन्ना, पेंच, कान्हा, बाधवगढ़, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 33 बाघों की मौत हो चुकी हैं।
हम कार्रवाई के लिए शिकायत करेंगे
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि पहले तो वन विभाग के अधिकारियों ने एक सप्ताह तक जांच के लिए भेजा पत्र दबाए रखा। ऐसे में अर्जेंट जांच के लिए लिखे पत्र को लेकर अधिकारियों की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे ।