reporter surendra maravi 9691702989
माता पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ बन सकें और देश का नाम रोशन कर सकें, लेकिन मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की हकीकत कुछ और है। प्रदेश के अलग-अलग सरकारी स्कूलों से बच्चों से काम कराए जाने के मामले सामने आये हैं। जिन बच्चों के हाथों में कलम और किताब होनी चाहिए उन विद्यार्थियों से स्कूलों में साफ सफाई, बर्तन धुलाने और झाड़ू लगवाने जैसे काम कराए जा रहे हैं। हाल ही में छात्रों से काम कराए जाने का मामला शहडोल जिले से सामने आया है, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है।
शहडोल के बुढ़ार विकास खंड अंतर्गत शासकीय प्राथमिक विद्यालय में छात्राओं से बाल श्रम कराया जा रहा है। यहां शिक्षकों ने विद्यार्थियों को कक्षा में जाने से पहले हर दिन पानी भरकर रखने का फरमान सुनाया है। स्कूली बच्चे अपने शिक्षकों की बातों का अक्षरश: पालन कर रहे हैं और हर दिन विद्यालय से कुछ दूरी पर स्थित सरकारी हैंडपंप से भारी भरकम पानी की बाल्टी में पानी भरकर ला रहे हैं। बाल्टी का वजन छात्राओं के वजन से भी ज्यादा है, ऐसे में यदि पानी की बाल्टी गिर जाए तो बच्चियों को चोट भी लग सकती है, लेकिन बेपरवाह शिक्षकों को इससे फर्क नहीं पड़ता। बताया जा रहा है कि स्कूल में किसी भृत्य की नियुक्ति नहीं की गई है इसलिए छात्राओं से ही भृत्य के काम कराए जा रहे हैं।
ये हाल मध्यप्रदेश के किसी एक सरकारी स्कूल के नहीं हैं बल्कि ग्रामीण अंचल के हर विद्यालय के हालात कुछ ऐसे ही हैं। कुछ वक्त पहले सागर जिले के देवरी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले शासकीय नवीन माध्यमिक शाला समनापुर खुर्द का एक वीडियो सामने आया था। यहां बच्चों से ही मध्याह्न भोजन के बर्तन धुलाने का मामला सामने आया था। स्कूल में अंजली स्व सहायता समूह को मिड डे मील बनाने का ठेका दिया गया है, लेकिन स्व-सहायता समूह ने किसी बर्तन साफ करने वाली बाई को नियुक्त नहीं किया, जिसके चलते लंच करने के बाद बच्चे खुद बर्तन मांजने पर मजबूर हैं।
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