तालिबान सुप्रीमो हैबतुल्‍ला अखूंदजादा की मौत, मुल्‍ला बरादर को बंधक बनाया गया, तालिबान के दो गुटो में बंंटवारा

(विजय काटकर)

ब्‍लादि मीर पुतिन, रूस, नरेद्र मोदी भारत, शी जिनपिंग चीन
जो बाईडेन अमेरिका

अफगानिस्‍तान का घटनाक्रम अफगानिस्‍तान की आवाम के लिए ही नही बल्कि पूरी दुनिया के लिए सिर दर्द बना हुआ है । जहा तालिबान का हक्‍कानी नेटवर्क कट्टरवाद का प्रतीक बन चुका है वही नरम वादी चेहरे समय की नजाकत हो देख रहे है । दुनिया की बडी ताकते जिनमें अमेरिका, बिट्रेन, फ्रांंस, आस्‍ट्रेलिया एवं भारत आतंकवाद मुक्‍त दुनिया के लिए संघर्षरत है । आगामी 24 सितंबर को होने वाली क्‍वाड के सम्‍मेलन में निर्णायक निर्णय लेने वाले है जिससे दुनिया में जो अंशाति फैलानेे की कोशिश आतंकवादी संघटन करना चाहते है वह समाप्‍त हो सके । चीन और पाकिस्‍तान जो सपने पाले हुए है वह दुनिया के लिए बहुत ही खतरनाक है जहां चीन अपनी विस्‍तार वादी नीति के साथ दुनिया पर अपनी दादागिरी स्‍थापित करना चाहता है इसमें पाकिस्‍तान बिचौलिए की भूमिका अदा कर रहा है । आतंकवाद का असली पनाहगार जहां पाकिस्‍तान है वही अमेरिका ने भी आतंकवादियो की आर्थिक मदद कर दुनिया को मुसीबत में डाल दिया है आने वाले समय में इसका अंजाम क्‍या होगा इसे ताकतवर मुल्‍को को समझना पडेगा और आगे भी बढना होगा । अगर अभी आतंकवाद को नैस्‍तनाबूत नही किया गया तो दुनिया को इसका गंभीर भुगतान भुगतना पडेगा । इसका पूरा श्रेय अमेरिका को जायेगा ।

इस पूरे घटनाक्रम में रूस की भूमिका भी कम नही होगी क्‍योकि संयुक्‍त सोवियत संघ द्वारा अतीत में किये गये अफगानिस्‍तान में हमलो का जो नुकसान उसने उठाया है वह पूरी दुनिया को पता है । अफगानिस्‍तान पर हमले के बाद ही रूस के टुुुकडेे टुुुुकडे हो गये थे जिसकी भरपाई करने का वक्‍त अब रूस को मिल गया है । यदि इस मौके फायदा इस वक्‍त रूस नही उठा पाया तो कभी नही उठा पायेगा इसलिए उसे सख्‍त निर्णय लेने की जरूरत है ।

तलिबान नेता मुल्‍ला बरादर को बंधक बनाए जाने की खबरें हैं। दावा यह भी किया जा रहा है कि तालिबान के सुप्रीम कमांडर हैबतुल्‍ला अखूंदजादा की मौत हो गई है। यह संघर्ष हक्‍कानी नेटवर्क के साथ हुआ था।

तालिबान के अंदर मचे घमासान के बीच खबरें आ रही हैं कि तालिबान नेता मुल्‍ला बरादर को बंधक बना लिया गया है। वहीं तालिबान के सुप्रीम लीड कहे जाने वाले हैबतुल्‍ला अखूंदजादा के मरने की खबरें आ रही हैं। हालांक‍ि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि सत्‍ता को लेकर चल रहे संघर्ष में मुल्‍ला बरादर को बंधक बनाया गया है।

ब्रिटेन की पत्रिका द स्‍पेक्‍टेटर ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि सत्‍ता को लेकर हुए संघर्ष में डेप्‍युटी पीएम मुल्‍ला बरादर और आतंकियों का सुप्रीम लीडर हैबतुल्‍ला बुरी तरह से घायल हो गए। यह संघर्ष हक्‍कानी नेटवर्क के साथ सत्‍ता को लेकर हुआ। इसमें हक्‍कानी नेटवर्क के नेता विजयी रहे। यही नहीं पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भी हक्‍कानी नेटवर्क पर ही दांव लगाया था।

अफगान राष्‍ट्रपति भवन में संघर्ष के बाद मुल्‍ला बरादर ने टीवी पर एक लिखित बयान को पढ़ा था जिससे उनके बंधक बनाए जाने की अटकलें और तेज हो गई थीं। कई विशेषज्ञों ने कहा था कि मुल्‍ला दबाव दबाव में है और उससे जबरन बयान पढ़ावाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संघर्ष सितंबर में हुआ था और इस दौरान फर्नीचर और गर्म चाय से भरे बड़े-बड़े थर्मस भी फेंके गए थे। झड़प के दौरान हक्‍कानी नेटवर्क का नेता खलील-उल- रहमान हक्‍कानी अपनी जगह से खड़ा हुआ और कुर्सी उठाकर मुल्‍ला बरादर की पिटाई करना शुरू कर दिया।

वहीं हैबतुल्‍ला के बारे में द स्‍पेक्‍टेटर मैगजीन ने कहा कि अभी तक तालिबान के सुप्रीम लीडर का पता नहीं है। उसने कहा, ‘हैबतुल्‍ला को न तो देखा गया है और न ही कुछ समय से उनके बारे में सुना गया है। ऐसी कई अफवाह है कि वह मर गया है। इससे पहले आई खबरों में कहा गया था कि तालिबान का प्रमुख चेहरा रहे मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को दरकिनार कर दिया गया है। अमेरिका और कई देशों को उम्मीद थी कि देश की कमान उन्हीं के हाथ में सौंपी जाएगी लेकिन ऐसा हो न सका। आखिकार मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया। तर्क दिया गया कि मुल्ला बरादर अमेरिका के दबाव में आ सकते हैं और आने वाले समय में यह समूह के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

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