अमृतवाणी और दोहों के माध्यम से जीवन का फलसफा सिखाने वाले संत कबीर दास को मंगलवार को उनकी जयंती पर सिख समुदाय समेत विभिन्न समाजों ने याद किया कहीं मंदिर में उनकी महाआरती उतारी गई तो कहीं उनके नाम से बने स्तंभ पर माल्यार्पण किया वक्ताओं ने रूढ़िवादी परंपराओं के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले संत के मूल मंत्र जाति ना पूछो साधु की और ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय जैसे संदेशों को आत्मसात करने का संकल्प दोहराया सिख समाज ने गुरु नानक टेकरी गुरुद्वार में संत कबीर के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए गुरमत समागम किया