काबुल हमले का मास्टर माइंड ढेर, अमेरिका ने किया ड्रोन हमला, और भी हो सकते है बम धमाके ?

​​’हंटर-किलर’ कहे जाने वाले इन ड्रोन्स का इंतजार भारतीय सेना को भी है जो 40 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं और बम भी ले जा सकते हैं। यह ड्रोन पहले लक्ष्य की खुफिया जानकारी जुटाता है और फिर उसे खत्म करने के लिए हमला करता है।


काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमले के बाद अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट के गढ़ पर हमला बोल दिया। हमले में इस सबसे कट्टरपंथी संगठन के आतंकी को मार गिराया गया। इस हमले को अंजाम दिया गया रीपर ड्रोन से जिसे अमेरिका का ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब इस्लामिक स्टेट के अड्डे पर ड्रोन से हमला किया गया है। करीब 20 साल से अमेरिका ने इस अचूक हथियार का इस्तेमाल किया है। वक्त के साथ यह और सटीक होता गया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 80 हजार से ज्यादा सर्विलांस ड्रोन और करीब 2000 अटैक ड्रोन अगले 10 साल में दुनियाभर में खरीदे जाएंगे। भारत ने भी इसकी खरीद में दिलचस्पी दिखाई है और हाल ही में अमेरिका से इसकी कीमत, रखरखाव और टेक्नॉलजी ट्रांसफर को लेकर 3 अरब डॉलर की डील पर रुख साफ करने को कहा है।

‘हंटर-किलर’ कहे जाने वाले इन ड्रोन्स का इंतजार भारतीय सेना को भी है जो 40 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं और बम भी ले जा सकते हैं। यह ड्रोन पहले लक्ष्य की खुफिया जानकारी जुटाता है और फिर उसे खत्म करने के लिए हमला करता है।

अफगानिस्‍तान के लोगों के पास खाने तक के पैसे नहीं, सभी बैंके बं‍द, काबुल में विरोध प्रदर्शन

अफगानिस्तान के काबुल में सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतर विरोध प्रदर्शन किया है. तालिबान के आने के बाद लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है, वह बैंक और एटीएम तक से पैसे नहीं निकाल पा रहे.

अफगानिस्तान में तालिबान के लौटने के बाद आम जनता पाई पाई को मोहताज हो गई है. लोगों के पास खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं. देशभर में केंद्रीय बैंक, निजी बैंक और मनी एक्सचेंज मार्केट तक बंद पड़ी हैं. जिसके चलते शनिवार को सैकड़ों पुरुष और महिलाओं ने काबुल की सड़कों पर उतर विरोध प्रदर्शन किया । पैसे की कमी के कारण इन लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रदर्शन करते हुए लोगों ने मांग की कि उन्हें उनका पैसा वापस चाहिए.

लोग काबुल बैंक और निजी बैंकों के बाहर एकत्रित हुए लेकिन इन्हें इन्हीं का जमा किया हुआ पैसा नहीं मिला. अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात की सरकार बनाने जा रहे तालिबान ने गुरुवार को सभी बैंक को शनिवार तक खोलने का आदेश दिया था और कहा कि सभी कार्यों को फिर से शुरू किया जाए । तालिबान के आदेश और सुरक्षा को लेकर दिए गए आश्वासन के बावजूद बैंक कर्मी काम पर नहीं लौटे और इसी वजह से बैंक बंद पड़े हैं. यहां दोबारा काम शुरू नहीं हो पा रहा है.

दहशत में बैंक मालिक

बैंक मालिकों का कहना है कि वह तब तक अपना बैंक शुरू नहीं करेंगे, जब तक देश का केंद्रीय बैंक नहीं खुल जाता. दूसरी ओर मुद्रा बदलने वाले बाजार भी बंद पड़े है. वहां काम करने वाले लोगों ने इस स्थिति के लिए देश के केंद्रीय बैंक को जिम्मेदार ठहराया है । देश में बैंकों को बंद हुए करीब दो हफ्ते का वक्त हो गया है, जिसके चलते लाखों लोगों के पास जीवनयापन करने के लिए पैसा नहीं बचा है. नियोक्ता अपने कर्मचारियों को तनख्वा नहीं दे पा रहे और जिन कर्मचारियों के बैंक खाते में पैसे हैं, वो भी बैंक बंद होने के कारण इन्हें निकाल नहीं पा रहे.

उल्‍लेखनीय है कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल में प्रवेश कर यहां कब्जा कर लिया था. जिसके बाद लोगों की चुनी हुई सरकार गिर गई. इसी दिन राष्ट्रपति रहे अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया. ऐसी खबर आई कि वह चार कार और एक निजी विमान से ओमान पहुंचे हैं. उन्होंने विमान में इतना ज्यादा पैसा भरा कि विमान से कुछ पैसा बाहर भी गिर गया । फिलहाल वह अपने परिवार के साथ संयुक्त अरब अमीरात में रह रहे हैं. उनके अलावा देश के कई अन्य नेताओं ने भी दूसरे देशों में शरण ली है.

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