अफगान की पंजशीर घाटी में जनता कर रही है युद्ध की तैयारी, तालिबान को मिलेगी कड़ी चुनौती

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव ने कहा कि अफगानिस्‍तान की पंजशीर घाटी में विद्रोही जमा हो रहे हैं जिसका नेतृत्‍व देश के उप राष्‍ट्रपति अमरुल्‍लाह सालेह और अहमद मसूद कर रहे हैं ।

रूस विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बज गया. लवरोव ने कहा कि अफगानिस्‍तान की पंजशीर घाटी में विद्रोही जमा हो रहे हैं जिसका नेतृत्‍व देश के उप राष्‍ट्रपति अमरुल्‍लाह सालेह और अहमद मसूद कर रहे हैं. उन्‍होंने यह भी कहा कि अभी पूरे अफगानिस्‍तान में तालिबान का शासन नहीं है. लावरोव ने मास्‍को में कहा, ‘तालिबान अफगानिस्‍तान के पूरे इलाके को नियंत्रित नहीं करते हैं. ऐसी खबरें हैं कि पंजशीर घाटी में अफगानिस्‍तान के उप राष्‍ट्रपति और अहमद मसूद विरोध कर रहे हैं.’ रूसी विदेश मंत्री ने एक बार फिर से आह्वान किया कि अफगानिस्‍तान के सभी राजनीतिक धड़ों के बीच में ‘प्रतिनिधि सरकार’ के गठन के लिए बातचीत होनी चाहिए.

दरअसल, अफगानिस्‍तान की पंजशीर घाटी एक बार फिर से विद्रोह का केंद्र बन गई है. यह घाटी चारों तरफ से पहाड़ों से घिरी है, इसकी वजह से तालिबानी आज तक कभी भी यहां पर कब्‍जा नहीं कर पाए हैं. अब यही से सालेह और मसूद दोनों तालिबान के खिलाफ विद्रोह के लिए लड़ाकुओं को इकट्ठा कर रहे हैं. रूस इस बात को लेकर सतर्कतापूर्वक आशान्वित है कि विद्रोहियों से बातचीत की जाए ताकि हिंसा की आंच पूर्व सोवियत संघ के देशों उज्‍बेकिस्‍तान और ताजिकिस्‍तान तक न पहुंच जाए ।

महिलाओं के प्रति तालिबान के कठोर कानून, शरीयत की आड में

तालिबान का उजागर होता बर्बर चेहरा  

तालिबान के कठोर और क्रूर शासन का डर है। खुद तालिबानी नेता भी कह चुके हैं कि अफगानिस्तान आगे लोकतंत्र नहीं रहेगा, बल्कि इसे इस्लाम के शरिया कानून के तहत चलाया जाएगा। तालिबान के इस ऐलान का डर महिलाओं में भी देखा गया है। हालांकि, इस कट्टरपंथी संगठन का कहना है कि वह कई मामलों में महिलाओं के लिए छूट को बढ़ाएगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर तालिबानी शासन में शरिया कानून के नियम कितने अलग रहे हैं और इतिहास में महिलाओं को देश में किस हद तक अधिकार मिले।

महिलाएं किस तरह की वेशभूषा अपना सकती हैं?
तालिबान शासन में महिलाओं के सजने-संवरने की इजाजत नहीं है। कानून के मुताबिक, 8 साल से ऊपर की बच्चियों का परिवार के किसी पुरुष सदस्य के साथ बाहर निकलते वक्त बुर्का पहनना अनिवार्य है। इसके अलावा घर के बाहर किसी और से बातचीत करते वक्त भी उनका बुर्के में होना जरूरी है। महिलाओं के हाई-हील्स पहनने पर भी प्रतिबंध हैं। कानून के मुताबिक, महिलाओं को इस तरह चलना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति उनके पैरों की आवाज न सुन सके।

क्या महिलाएं अकेले बाजार जा सकती हैं?
तालिबानी कानून के मुताबिक, महिलाएं घर से बाहर निकल सकती हैं, लेकिन अकेले नहीं। बाजार या कहीं और जाते वक्त उनके साथ घर का एक पुरुष सदस्य साथ होना चाहिए। फिर चाहे वह कोई बच्चा हो या वयस्क।

क्या महिलाएं दफ्तरों में काम कर सकती हैं?
तालिबान का कहना है कि महिलाओं को काम करने की इजाजत दी जाएगी। लेकिन अफगानिस्तान में रहने वाले लोगों का कहना है कि दफ्तर जाते समय तालिबान के लड़ाके उन पर घर तक निगरानी रखते हैं। साथ ही उनके पुरुष रिश्तेदारों को भी एक ही दफ्तर में साथ काम पर आने के लिए कहा गया। 

महिलाएं शिक्षा, गायन और नृत्य में शामिल हो सकती हैं?
तालिबान के पिछले शासन में महिलाओं के लिए शिक्षा को मंजूरी थी, लेकिन उन्हें ऐसे सामान्य स्कूलों, कॉलेज और मदरसों में जाने की बिल्कुल इजाजत नहीं थी, जहां पुरुष भी पढ़ते हों। इतना ही नहीं शरिया के तहत गायन की मनाही है। तालिबान ऐसी महिलाओं को सख्त सजाएं देने के लिए जाना जाता है, जो गायन और नृत्य में दिलचस्पी रखती हैं। इसके अलावा महिलाओं के मॉडलिंग करने पर भी सख्त मनाही है। किसी अखबार या किताब में उनकी फोटो और पोस्टर छपना भी प्रतिबंधित है।

क्या महिलाएं अपने दोस्तों से मिल सकती हैं?
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के आगमन (करीब 20 साल पहले तक) तालिबानी शासन ही था। इस दौरान नियमों के तहत महिलाएं अधिकतर घरों में ही कैद रहती थीं, जिससे उन्हें घर के बाहर दोस्तों से मिलने के मौके कम ही मिले। उधर पुरुष मित्रों की बात की जाए, तो महिलाओं को 12 साल से ऊपर के लड़कों और परिवार के बाहर के आदमियों से मिलने की बिल्कुल इजाजत नहीं है। 

अफगानिस्तान की टीवी पत्रकार शबनम दावरान ने मीडिया के सामने तालिबान के काले कारनामों की पोल खोल दी. उन्होंने बताया कि तालिबान ने अपने कब्जे के अगले दिन ही अपने इरादे जाहिर करने शुरू कर दिए है. उन्‍होने बताया है कि तालिबान ने मुझसे जब मैं अपने आफिस गयी तो वहां आफिस के बाहर मौजूद शख्‍स ने कहा कि “तुम एक महिला हो, अपने घर जाओ, तुम यहां काम नहीं कर सकती”।

वही तालिबान का कहना है कि शासकीय कार्यालयों में काम करने वाली महिलाओं को रोका है ना कि निजी संस्‍थानों में काम करने वाली महिलाओं को, इससे ऐसा लगता है कि महिलाओं को लेकर तालिबान दोहरा चाल चरित्र अपना रहा है ।

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