अफगानिस्‍तान और तालिबान का कौन उठाएगा फायदा?

(विजय काटकर)

भोपाल । अफगानिस्‍तान के घटनाक्रम के उपरांत यह समझना और जानना जरूरी है कि इस घटनाक्रम के पीछे विश्‍व के किस देश का हाथ है, क्‍योकि अमेरिका ने पिछले 20-30 वर्ष में 60 लाख करोड डाॅॅॅलर एवं अपने हजारो सैनिकों की जान गवांने के बाद कुछ नही पाया बल्कि आज उसके उपर ठीकरा इस बात का फूूट रहा हैै कि अफगानिस्‍तान की जनता को मुसीबत में छोड कर अपना पल्‍ला झाड लिया है । जबकि अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि हमारे सैनिको की हो रही मृत्‍यु से हम दुखित है हम अपने सैनिको को ओर नही खो सकते क्‍योकि अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ अली खान ने जहा हमे अंधेरे में रखा वही उन्‍होने जंग के मैदान से भागकर खुद को भी और हमको भी कमजोर किया है जबकि उनको तालिबान से लडना चाहिए था तब हम उनके साथ होते ।

अफगानिस्‍तान के पूरे घटनाक्रम पर पूरी दुनिया की निगाह लगी हुई है जिसमें रूस, पाकिस्‍तान और चीन देश अपनेे फायदे को लेकर अफगानिस्‍तान की जमीन और तालिबान का ईस्‍तेमाल करना चाहते है । अफगानिस्‍तान पर तालिबान का कब्‍जा होने के बाद ऐसा लगता है कि रूस, अमेरिका, पाकिस्‍तान अपने मनसूबे पूरे करने के लिए बेताब है, वही भारत ऐशिया महादीप में अपनी स्थिति कहा पाता है यह भविष्‍य के गर्त में है जबकि उपरोक्‍त तीनो देश इस प्रयास में है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान के सहारे उनका वजूद मौजूद रहे और दुनिया में उनकी दादागिरी स्‍थापित हो सके । तालिबानियों को कौन सा देश इस्‍तेमाल करेगा यह समय के गर्त में है फिर भी ऐसा लगता है कि अमेरिका के हाथ से अफगानिस्‍तान का मामला हाथ से निकल चुका है क्‍योकि जिस तरीके से उसने पिछले 20-30 वर्षो में अफगानिस्‍तान में कार्य किया है वह उसकी कमजोरी को दर्शाता है । पूर्व में तालिबान के प्रवक्‍ता मोहम्‍मद सोहेल शाहीन ने कहा था कि अफगानिस्‍तान की जमीन का ईस्‍तेमाल किसी देश के खिलाफ नही होने दिया जाएगा लेकिन लगता है कि तालिबानों की साठ गाठ किसी देश से तो चल रही है ?

“राजधानी काबुल अब पहले से ज्यादा महफूज,गनी से बेहतर है तालिबान राज”

अफगानिस्तान में हालात में पूरी तरह तबदीली आ गई है. तालिबान ने जैसे ही राजधानी काबुल में एंट्री ली तो सत्ता में बैठे लोगों के हाथ पांव फूल गए और देश का तालिबान के हवाले कर दिया. साथ ही राष्ट्रपति अशरफ गनी भी अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए. अब इस मामले में रूस का बड़ा बयान सामने आया है. रूस ने अफगानिस्तान में जारी तालिबान के जारी रवैये की तीरीफ की है ।

अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव (Dmitry Zhirnov) ने तालिबान के व्यवहार और आचरण की तारीफ की. उन्होंने कहा कि तालिबान ने पहले 24 घंटों में काबुल को पिछले अधिकारियों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित बना दिया है.

जो बाइडेन ने भी दी सफाई


अमेरीकी फौज को वापस बुलाने वाले राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी अफगानिस्तान के हालात पर देश को खिताब करते हुए इस जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ लिया है. उन्होंने कहा कि अशरफ गनी अफगानिस्तान से बिना लड़े कैसे भाग गए. बाइडेन ने कहा कि वह अतीत में अमेरिका के ज़रिए की गयी गलतियों को नहीं दोहराएंगे. किसी संघर्ष में शामिल रहने और अनिश्चितकाल तक लड़ने की गलती अमेरिका के राष्ट्रीय हित में नहीं है. “हम इन गलतियों को दोहरा नहीं सकते क्योंकि हमारे दुनिया में अहम हित हैं जिन्हें हम नजरअंदाज नहीं कर सकते.” उन्होंने कहा, “मैं यह भी मानता हूं कि हम में से ज्यादातर लोगों के लिए यह कितना दुखद है। अफगानिस्तान से जो दृश्य सामने आ रहे हैं वे अत्यंत परेशान करने वाले हैं.”

अफगानी नागरिकों को अकेला नहीं छोड़ेंगे: मैक्रों
इसी कड़ी में फ्रांस के राष्ट्रपति एमेनुअल मैक्रों भी शामिल हो गए हैं. मैक्रों ने सोमवार को वादा किया कि फ्रांस उन अफगान नागरिकों को तालिबान के बीच अकेला नहीं छोड़ेगा, जिन्होंने उसके लिये काम किया है. इन लोगों में अनुवादक, रसोई कर्मचारी, कलाकार, कार्यकर्ता और अन्य शामिल हैं. मैक्रों ने कहा कि उन लोगों की रक्षा करना जरूरी है, जिन्होंने वर्षों तक फ्रांस की मदद की है. उन्होंने कहा कि दो सैन्य विमान अगले कुछ घंटों में विशेष बलों के साथ काबुल पहुंचेंगे

अब चीन पर हो सकता है आतंकी हमला, तालिबान का धोखा

तालिबान के खिलाफ चीन ने लड़ाई का एलान करके एक तीर से दो निशाने लगाए हैं, अफगानिस्तान तक रोड एंड बेल्ट प्रोग्राम को बढ़ाने का और पाकिस्तान पर नए-नए सैन्य बेस बनाकर उसे गुलामी की जंजीरों में जकड़कर कब्जा कर लेने का, अगर चीन का ये मंसूबा पूरा हो जाता है तो भारत के लिए वो बड़ा खतरा बन जाएगा।

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