शोध : प्यार में पड़ने से पहले ही शरीर ब्रेकअप के लिए खुद काे तैयार करने लगता है, पाचन अाैर प्रतिरक्षा प्रणाली भी प्रभावित हाेने लगती है
दिल पर जाे कुछ बीतती है उसका दिल सहित पूरी शारीरिक संरचना पर असर हाेता है।’ यह दावा विज्ञान लेखिका फ्लाेरेंस विलियम्स ने किया है। अपनी पुस्तक ‘हार्टब्रेक-ए पर्सनल एंड साइंटिफिक जर्नी’ में उन्हाेंने भावनात्मक अाैर शारीरिक तकलीफ में संबंध की पड़ताल की है। इसमें उन्होंने वैज्ञानिक अध्ययनाें का हवाला देते हुए यह जानने की काेशिश की है कि किस तरह से भावनात्मक पीड़ा दिल, पाचन अाैर प्रतिरक्षा प्रणाली काे प्रभावित कर सकती है। विलियम्स का कहना है कि प्यार में पड़ते ही स्ट्रेस हार्मोंस पैदा करने वाले दिमाग के हिस्से उत्तेजित हाे जाते हैं। यानी जैविक रूप से हमारा शरीर उसी समय से ब्रेकअप की पीड़ा झेलने के लिए खुद काे तैयार करने लग जाता है। वे बताती हैं कि 18 साल की उम्र से वे अपने पार्टनर के साथ प्रेमिका अाैर बाद में पत्नी के रूप में कुल 35 साल तक रहीं। एक दिन जब उनके घर कुछ दाेस्त अाने वाले थे, तभी उन्हें पति के मेल पर गर्लफ्रेंड काे लिखा नाेट मिला। विलियम्स का कहना है कि मेल पढ़ने के बाद से ही उन्हें अपने शरीर में बुरा बदलाव महसूस हाेने लगा। यह स्ट्रेस हार्मोंस का रिलीज हाेना ही था। विलियम्स का कहना है कि जब दाे लाेग एक-दूसरे से करीब से जुड़े हाेते हैं, ताे उनकी धड़कनाें की गति भी िमलती-जुलती होती है। तनाव से लड़ने वाला स्ट्रेस हार्मोन काॅर्टिसाेल भी एक-सा हाेता है। कई स्टडी यह बताती हैं कि किसी कपल काे एक टास्क देकर ब्रेन स्कैनिंग करने पर उनकी ब्रेन वेव्ज में समन्वय पाया गया। यदि उनमें से किसी एक काे किसी दूसरे व्यक्ति, जिसे वे जानते न हाें, के साथ स्कैन किया जाए ताे एेसा नहीं हाेगा। बल्कि तुरंत ही एक पार्टनर के शरीर का अलार्म सिस्टम चाैकन्ना हाे जाएगा कि कहीं न कहीं कुछ गलत हाे रहा है और वह अपने पार्टनर की तलाश करने लगेगा।
तलाक अाैर हार्ट ब्रेक की स्टडी: मनाेविज्ञान में तलाक अाैर हार्टब्रेक काे लेकर कई दिलचस्प स्टडी की जा रही हैं। कुछ रिसर्च में टूटे दिल वाले लाेगाें के ब्रेन की स्कैनिंग की गई है अाैर उनकी ब्रेन वेव्ज काे समझा जा रहा है। अब कुछ वैज्ञानिक अकेलेपन की स्टडी कर रहे हैं। अकेलापन कई बीमारियाें अाैर जल्दी मृत्यु का कारण है। तलाक अाैर रिलेशनशिप अकेलेपन के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार हैं।
‘दिल दहलना’ सिर्फ मुहावरा ही नहीं है, वास्तविकता में ऐसा होता भी है
जापान में 2011 के भूकंप के बाद पाया गया कि बड़ी संख्या में लाेग हार्ट अटैक की शिकायताें के साथ अस्पताल पहुंचे। इनमें न हार्ट अटैक का काेई जाेखिम था, न ही धमनियाें में ब्लाॅकेज था। दरअसल भूकंप ने लाेगाें में एक साथ इतने स्ट्रेस हार्मोंस रिलीज किए कि उनके दिल बीमार हाे गए। इससे यह पता चलता है कि लाेगाें के जीवन की घटना अाैर उनके दिल में सीधा भावनात्मक संबंध है। यानी प्राकृतिक अापदाएं दिल की धड़कनें बढ़ा देती हैं।