क्रिप्टो पर इनकम टैक्स लगाने से इस पर जीएसटी लगने की संभावना भी बढ़ गई है। सरकार ने क्रिप्टो को एसेट मानकर 30 फीसदी आयकर लगाया है। अगर इसे सिक्योरिटी (प्रतिभूति) का दर्जा नहीं दिया जाता है तो जल्द ही क्रिप्टो की खरीद-बिक्री पर जीएसटी भी लगेगा। जीएसटी विशेषज्ञ सुधीर हालाखंडी कहते हैं- ‘वित्त सचिव ने कहा है कि सरकार क्रिप्टो को लॉटरी और हॉर्स रेसिंग की तरह ट्रीट करेगी। ऐसा होता है तो इस पर 28 फीसदी जीएसटी लगेगा, क्योंकि वर्तमान में प्राइवेट लॉटरी और हॉर्स रेसिंग (घुड़दौड़) पर यही दर लागू है। सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। अगर सरकार स्पष्टीकरण नहीं लाती है तो फिर क्रिप्टो पर जीएसटी की देयता 1 जुलाई 2017 से लागू होगी।’
वहीं, क्लियर टैक्स के फाउंडर अर्चित गुप्ता कहते हैं- ‘फिलहाल, क्रिप्टो जीएसटी कानून में नहीं है, लेकिन अब संभव है कि इस पर भी जीएसटी लगे। इस पर और स्पष्टता जरूरी है।’
जीएसटी का यह मुद्दा इसलिए अचानक सामने आ गया है क्याेंकि पहली बार क्रिप्टो काे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें क्रिप्टो को न ही सिक्योरिटी माना गया है और न ही मनी। चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी कहते हैं, ‘क्रिप्टोकरंसी अगर मनी या सिक्युरिटी होती तो जीएसटी नहीं लगता।’ जीएसटी की धारा 2(75) के अनुसार, मनी का मतलब भारतीय विधिमान्य मुद्रा या फेमा अधिनियम के तहत आने वाली विदेशी करंसी होती है। अधिकांश वर्चुअल करंसी इसमें नहीं आतीं, इसलिए इसे मनी नहीं माना जा सकता। सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स रेगुलेशन एक्ट में जो सिक्योरिटी की परिभाषा है, उसमें भी वर्चुअल करंसी नहीं आती।
विशेषज्ञों ने कहा- सरकार इस मसले पर स्पष्टीकरण जारी करे
विभिन्न क्रिप्टोकरंसी फिलहाल ग्रे-एरिया में हैं। क्रिप्टो करंसी खरीदना-बेचना गैर-कानूनी नहीं है। हमने अब टैक्सेशन फ्रेमवर्क को ऐसे बनाया है, जिसमें कराधान के लिए क्रिप्टो एसेट्स को हॉर्स रेसिंग, जुए और अन्य सट्टा लेन-देन में हुई कमाई की तरह ट्रीट किया जाएगा। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन के मुताबिक, ‘सरकार क्रिप्टोकरंसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने की दिशा में काम कर रही है। प्रस्तावित कानून के विधेयक को संसद में पेश करने के पहले इस पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी।’ सोमनाथन ने कहा, ‘क्रिप्टो को रेगुलेट करने के तरीके पर देश में बहस जारी है। सरकार की सोच है कि देश में इस मसले पर व्यापक परामर्श हो और यह भी देखना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या हो रहा है। फिलहाल सरकार रेगुलेशन को लेकर जल्दबाजी नहीं करेगी और वह ऐसे लेन-देन से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाएगी। निजी क्रिप्टोकरंसी लीगल टेंडर नहीं होंगी। रिजर्व बैंक की एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में अपनी डिजिटल करंसी लॉन्च करने की योजना है।’
दरअसल, लंबे टालमटोल के बाद सरकार ने इस बजट में साफ किया कि वह क्रिप्टो सहित वर्चुअल एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाली कमाई पर 30% की दर से टैक्स लगाएगी। यह 1 अप्रैल 2022 से लागू होगा।
आईटीआर फॉर्म में अगले वित्त वर्ष से क्रिप्टो के लिए नया कॉलम
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा, अगले साल से आयकर रिटर्न फॉर्म में क्रिप्टो से होने वाले फायदे और कर भुगतान करने के लिए एक अलग कॉलम होगा। उन्होंने कहा, क्रिप्टोकरंसी से होने वाले लाभ पर हमेशा कर लगता है। बजट में जो प्रस्तावित किया गया है वह नया कर नहीं बल्कि इस मुद्दे पर निश्चितता प्रदान करता है।
झुनझुनवाला का दावा- एक दिन ढह जाएगा क्रिप्टोकरंसी बाजार
दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने कहा है कि क्रिप्टोकरंसी मार्केट एक दिन ढह जाएगा। हालांकि इक्विटी बाजार पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। बजट से जुड़े सवाल पर झुनझुनवाला ने कहा, इक्विटी और क्रिप्टो का निवेशक वर्ग अलग है। शेयर बाजार की उठापटक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, वर्तमान में हाइप्ड वैल्यू शेयरों में मंदी है।