बैरसिया में 22 साल पुरानी गो सेवा भारती गोशाला में रविवार को करीब 100 गायों के शव मिले हैं। इनमें से 20 शव गोशाला के भीतर एक गड्ढे में सड़ रहे थे, जबकि बाकी बसई तालाब के पठारी क्षेत्र में पड़े थे। इनमें भी कुछ कंकाल हो चुके थे, जो करीब डेढ़ महीने पुराने बताए जा रहे हैं। सुबह गाय मरने की सूचना सबसे पहले गांववालों को मिली। वे गोशाला पहुंचे तो अंदर का नजारा देख सहम गए। यहां गेट पर ही 4-5 गाय अधमरी पड़ी थीं। थोड़ा अंदर गए तो एक गड्ढे में 20 गायों के शव पड़े थे। इन्हें देख ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे की सूचना पर कलेक्टर अविनाश लवानिया पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे। ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि पिछले 15 दिन से गायें मर रही हैं, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। फिलहाल पुलिस ने गोशाला की अध्यक्ष 66 वर्षीय निर्मला देवी शांडिल्य पर धारा 269, 270 के तहत महामारी फैलाने का मामला दर्ज किया है। निर्मला भाजपा की जिला मंत्री रह चुकी हैं। हालांकि भाजपा के ग्रामीण जिला महामंत्री कुबेर सिंह गुर्जर का कहना है कि निर्मला का पार्टी से अभी लेना-देना नहीं है। वे 2006 से किसी भी पद पर नहीं हैं। कलेक्टर ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी बना दी है। साथ ही गोशाला का संचालन जनपद सीईओ को दे दिया है। कलेक्टर का कहना है कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि जो गायें बुजुर्ग-बीमार थीं, उन्हें व्यवस्थित तरीके से दफनाया नहीं गया, बल्कि उसी जगह पर उनके शव फेंक दिए गए।
पांच कर्मचारियों के भरोसे 400 गाय, इन्हें न पूरा भोजन और न ही सही इलाज
निर्मला साल 2001 से बैरसिया के बसई क्षेत्र में यह गोशाला डेढ़ एकड़ क्षेत्र में चला रही हैं। गोशाला समिति की अध्यक्ष निर्मला हैं, जबकि सचिव उनकी बहन लता हैं। निर्मला बैरसिया मंडी की सदस्य रह चुकी हैं। गोशाला में अभी 400 गाय हैं। इनमें से ज्यादातर बीमार हैं। भूख और बीमारी से इनकी मौत होने की बात सामने आई है। 5 कर्मचारी यहां काम कर रहे हैं, लेकिन रिकॉर्ड में 15 नाम दर्ज हैं। सबसे बड़ी बात कि डॉक्टरों का यहां नियमित दौरा नहीं होता है। न ही गायों को पर्याप्त भोजन सामग्री मिलती है। भोपाल जिले में अभी 39 गोशालाएं हैं, जिनमें एक ब्लॉक में 12 रजिस्टर्ड हैं। इनमें 6500 गाय हैं।
ये कंकाल मेरी गायों के नहीं, लोग फेंक गए : निर्मला
निर्मला का कहना है कि मेरे यहां मुश्किल से 5-6 गाय मरी होंगी। जो गड्ढे वाली गाय हैं वे तो नगर निगम की भेजी गई हैं। मैदान में जो कंकाल हैं, वो मेरी गायों के नहीं। लोग अपनी बीमार गाय फेंक जाते हैं।