हमीदिया अस्पताल के दंतरोग विभाग में ब्लैक फंगस से आंख खो चुके मरीजों के कृत्रिम आंख तैयार करने की शुरुआत की गई। सोमवार को पहली बार दो मरीजों को कृत्रिम आंख लगाई तो दोनों अपना चेहरा देख भावुक हो गए। दूसरे मरीज नवाब मियां के बेटे ने कहा कि पिता के आंख खोने के बाद लगा था कि जीवन खत्म हो गया, लेकिन अब नई जिंदगी मिल गई। दंत रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनुज भार्गव के मुताबिक म्यूकरमाइकोसिस ने कई लोगों की रोशनी छीन ली। इसके संक्रमण को दिमाग तक पहुंचने से रोकने के लिए कुछ मरीजों की आंख भी निकालनी पड़ी ज्यादातर मरीजों की एक आंख निकाली गई है आंख निकालने से इस जगह छेद हो जाता है जिससे चेहरा तो खराब लगता है वही खुला होने से धूल या अन्य कचरा अंदर चला जाता जिससे संक्रमण का खतरा रहता है।