संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। भोपाल में बीते 10 दिन में 136 तो 11 अन्य शहरों में 78 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन बड़ी कक्षाओं में 50% बच्चे अभी भी स्कूल जा रहे हैं। सोमवार को कोरोना समीक्षा बैठक के दौरान स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने पहली से 8वीं तक के स्कूल बंद करने का मामला उठाया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अभी ये चिंता का विषय नहीं है। इस बारे में तीन-चार दिन बाद फैसला लेंगे। उन्होंने सभी कलेक्टरों से स्कूली बच्चों के बारे में रिपोर्ट मांगी है। बैठक के बाद दैनिक भास्कर से बातचीत में परमार ने बताया कि शहरों में ऑनलाइन पढ़ाई के साधन हैं, लेकिन गांवों में दिक्कत है। हालांकि गांवों में केस कम हैं। वहां ऑफलाइन आकर शिक्षक पढ़ा सकते हैं। इसलिए हम शहरों में ऑनलाइन और गांवों में ऑफलाइन पढ़ाई की तैयारी कर रहे हैं। बैठक में सीएम ने बताया कि प्रदेश में एक्टिव केस 8606 हैं, इनमें से 94% होम आइसोलेशन में हैं। 44 मरीज आईसीयू में हैं। उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए कि जो मरीज होम आइसोलेशन में हैं, उनसे रोज दो बार बात करें। उन्होंने कहा कि 15 से 18 साल के बच्चों का 100% वैक्सीनेशन 16 जनवरी तक हो जाना चाहिए। अभी ऐसे 15 लाख बच्चों को डोज लगना बाकी है।
भोपाल में दूसरी लहर में डॉक्टर ज्यादा संक्रमित थे, इस बार बच्चे हो रहे
राजधानी में दूसरी लहर में 4.85% बच्चे संक्रमित हुए थे, जो तीसरी लहर के 10 दिन में बढ़कर 6.57% हो गए हैं। जबकि दूसरी • लहर में 5.40% डॉक्टर संक्रमित हुए थे, जो इस बार 3.2% ही हैं। बता दें कि शहर में 10 दिन में 136 बच्चे और 68 डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं। अच्छी बात ये है कि इन 136 में से सिर्फ 20 बच्चे ही अस्पताल में भर्ती हुए और वो भी चार से पांच दिन में स्वस्थ होकर घर लौट आए। 85% बच्चे सामान्य इलाज से स्वस्थ हो गए।
बच्चों में अभी एंटीबॉडी नहीं, इसलिए उनमें संक्रमण ज्यादा
जीएमसी के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. लोकेंद्र दवे के मुताबिक बच्चों के संक्रमित होने की बड़ी वजह ये है कि उनके अंदर अभी एंटीबॉडी नहीं बनी है। जबकि 18 साल से बड़ी उम्र के 95% लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। फिलहाल इस बार बच्चों को लेकर तमाम विशेषज्ञों की राय और स्टडी के अध्ययन के बाद सरकार ने बच्चों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। हमीदिया अस्पताल में 92 बेड का पीआईसीयू तैयार किया गया है। कई अस्पतालों में 200-200 बेड के ऑक्सीजन बेड तैयार हैं।