देशभर के स्कूलों के सिलेबस में सुधार के लिए बनी संसद की स्थाई समिति ने चारों वेदों व भगवग्दीता की सिफारिश की है समिति को देश भर से 20000 सुझाव मिले थे जिन्हें रिपोर्ट का हिस्सा बना कर सदन में रखा गया रिपोर्ट के मुताबिक सिख मराठा, गुर्जर, जाट, आदिवासियों और भारतीय महाकाव्यों को 20 स्कूली किताबों में जगह देने की बात कही गई है भाजपा सांसद डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली 31 सदस्य समिति ने रिपोर्ट में कहा देव और गीता के विवरण स्कूली पाठ्यपुस्तकों मैं शामिल करने चाहिए, विक्रमादित्य चोल, चालूक्य विजयनगर गोंडवाना के शासकों बोध्द त्रावणकोर और उत्तर पूर्व के अहोम के इतिहास को भी शामिल करना चाहिए, तमाम देशों में धार्मिक अध्ययन के लिए समप्रीत विश्वविद्यालय बने हुए हैं भारत में ऐसे विश्वविद्यालय होने चाहिए।
अहिल्याबाई जैसे शख्सियतें किताबों में शामिल की जाए
समिति ने कहा पाठ्यपुस्तकों मैं महिलाओं के योगदान को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए इनमें अहिल्याबाई होलकर, अबला घोष, आनंदी गोपाल जोशी, अनुसूया साराभाई, आरती सहाय, अरुणा आशा अली, कनकलता डेका, रानी मां गुडुंगलू, आशिमा चटर्जी, कैप्टन प्रेम माथुर, चंद्रप्रभ सेकिनी, कोर के लिए सोराबजी, दुर्गावती देवी, जानकी अम्मान, कल्पना चावला आदि के नाम शामिल हैं।
नालंदा तक्षशिला जैसे मॉडल विकसित करने की सिफारिश
समिति ने एसईसीईआरटी को सुझाया है कि वह जिलेवार इतिहास व स्थानीय ऐतिहासिक शख्सियतों के बारे में जिलास्तर पर पाठ्य पुस्तकें तैयार करें पाठ्य पुस्तकों में पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों का विज्ञान गणित दर्शनशास्त्र आयुर्वेद कला आदि का समावेश हो नालंदा और तक्षशिला की शैक्षणिक पद्धतियों का अध्ययन कर नए मॉडल विकसित किए जाएं।
पाठ्य पुस्तकों में स्थानीय इतिहास भी शामिल हो
पाठ्य पुस्तक की सामग्री के पूर्व के रूप में भ्रमण को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए किताबों में किसी स्थान का नाम आए तो उसके साथ उसके धार्मिक ऐतिहासिक और सांस्कृति महत्व के बारे में बताया जाए एनसीईआरटी और एसीसीईआरटी को किताबों में स्थानीय इतिहास भी शामिल करना चाहिए जहां तक संभव हो इसे स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाना चाहिए।
बच्चे का भोज कम करने के लिए महाराष्ट्र मॉडल अपनाएं
समिति ने कहा महाराष्ट्र में पहली के बच्चों के लिए केवल एक किताब है जिसमें विभिन्न विषय शामिल है अन्य राज्यों को भी शुरुआती स्तर पर इसी तरह का मॉडल अपनाना चाहिए पर्यावरण संवेदनशीलता मानवीय मूल्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए जरूरी विषय सिलेबस में जोड़ने पर जोर दिया जाए साथ ही इंटरनेट की लत के दुष्प्रभावों को भी शामिल रखा जाए।