भोपाल के किसान स्ट्रॉबेरी, सेब, अंजीर, थाई पिंक अमरूद, और ड्रैगन फ्रूट की यूनिक खेती कर रहे हैं पीढ़ियों से गेहूं चना सोयाबीन की खेती कर रहे किसानों का रुझान यूनिक खेती की ओर बढ़ रहा है इसकी बड़ी वजह मौसम और उपज लागत भी है भोपाल और उससे सड़े झलाको मैं किसान स्ट्रॉबेरी अंगूर अंजीर अनाज ड्रैगन फ्रूट सेव थाई पिंक अमरूद की खेती भी कर रहे हैं जिले में पपीते की खेती का दायरा भी बढ़ा है भोपाल से चढ़े दबोटी गांव के किसान राजमोहन अग्रवाल ने अपने खेत में स्ट्रॉबेरी के 24
काले गेहूं की खेती कर भी बढ़ रहा है चलत हजार पौधे लगाए हैं स्ट्रॉबेरी के पेड़ों के बीच में खाली जगह में उन्होंने अंजीर के 350 पौधे भी लगाए हैं स्ट्रॉबेरी के टिश्यू कल्चर प्लांट पुणे से लाए जाते हैं अग्रवाल बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की 6 से 8 इंच ऊंची झाड़ियां होती है उसे सितंबर में लगाते हैं मार्च तक यह फसल तैयार हो जाती है उघानिकी सलाहकार सुबोध सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक हमारे क्षेत्र के कई किसान यूनिक खेती अपनाना चाहते हैं रायसेन रोड पर कई किसान थाई पेन अमरूद की खेती कर रहे हैं शेखपूरा गांव समेत जिले के कई गांव में किसान पपीते की खेती करने लगे हैं विदिशा और भोपाल जिले के कई गांव में अनार की खेती भी की जा रही है
एडवांस खेती करने वालों मैं शुमार किसान स्टेशन भूषण सिंह तोमर का कहना है कि बेरसिया और भोपाल से सड़े रायसेन के गांव में किसान काले गेहूं की खेती भी कर रहे हैं बेहतर स्वास्थ्य की गति से उसके इस्तेमाल का चलन भी बढ़ा है
अच्छी किसनो का चयन जरूरी
यूनिक खेती के लिए अच्छी किस्म के बीज पौधों का चयन करना जरूरी है इसके पहले मिट्टी का भी परीक्षण कर ले जबलपुर अनुसार पौधों का रोपण करें डॉक्टर आरके जायसवाल प्रिंसिपल साइंटिस्ट फल अनुसंधान केंद्र