भारत और चीन देपसांग और डेमचोक सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त फिर से शुरू करने पर राजी हुए हैं। एलएसी पर गश्त फिर से शुरू करना पूर्ण पैमाने पर सैनिकों की वापसी की दिशा में अहम कदम है। अब चीनी सैनिक पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे और भारतीय सैनिकों को नहीं रोकेंगे जैसा कि वे 2020 से कर रहे हैं। मई 2020 में सीमा पर तनाव पैदा होने के लंबे समय बाद के बाद भारत-चीन सैनिकों की वापसी और गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर पहुंचे हैं। सना ने आगे कहा कि चीन रणनीतिक रूप से कनाडा मुद्दे का इस्तेमाल पश्चिम को भारत के लिए एक अविश्वसनीय भागीदार की तरह पेश कर रहा है। चीन सुझाव दे रहा है कि एशियाई देशों को पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। चीन की कोशिश कनाडा मुद्दे का भी फायदा उठाने की है।
हालांकि इस समझौते को एक्सपर्ट अलग तरह से देख रहे हैं।स्ट्रैटजिक थिंकर विचारक और टिप्पणीकार ब्रह्मा चेलानी इस पूरे समझौते पर सवाल खड़े करते हैं। उन्होंने एक्स पर अपने एक पोस्ट में लिखा, 'सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए कोई डील नहीं हुई है। ये इस सप्ताह होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी-शी की बैठक को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया है, जिसके तहत भारत और चीन एक गश्त व्यवस्था पर सहमत हुए हैं।' चेलानी ने कहा कि इस गतिरोध की जड़ चीन की ओर से गश्त सहित सीमा-प्रबंधन समझौतों का उल्लंघन है।