दुबई: अमेरिका ने सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को प्रमुख रक्षा साझेदार घोषित किया। इस फैसले के बाद यूएई को अधिक उन्नत अमेरिकी हथियार और टेक्नोलॉजी मिलने का रास्ता खुल जाएगा। यह समझौता तब हुआ है, जब मध्य पूर्व में जंग जैसे हालात हैं। यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की व्हाइट हाउस में यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नायहान से मुलाकात के बाद की गई है। अमेरिका ने ऐसा दर्जा अभी तक सिर्फ भारत को ही दिया है। इसे मध्य पूर्व में चीन के खिलाफ अमेरिकी कूटनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में यूएई और सउदी अरब समेत कई देशों के साथ मजबूत रक्षा संबंध विकसित किए हैं।विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका ने यह दर्जा सूडानी गृहयुद्ध में यूएई की भूमिका, रूस के साथ इसके आर्थिक संबंधों और चीन के साथ सैन्य संबंधों को लेकर तनाव के बावजूद दिया है। ऐसे में साफ है कि अमेरिका नहीं चाहता है कि यूएई उससे दूर चला जाए। अमेरिका यूएई पर सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्स के लिए अपने सैन्य समर्थन को कम करने के लिए दबाव डाल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान अमीराती अधिकारियों के साथ बैठक कर सैन्य समर्थन पर चर्चा करने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका किसी भी कीमत पर यूएई पर दबाव नहीं डालेगा। सोमवार को हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच लड़ाई बढ़ने के कारण भी अमेरिका नहीं चाहता है कि मध्य पूर्व में उसके लिए कोई नया बखेड़ा खड़ा हो। इसके अलावा नाययान इस बात पर भी गुस्सा थे कि अमेरिका यमन के हूती विद्रोहियों पर लगाम लगाने में नाकाम हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर अमेरिका ने यूएई पर रूस को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचाने और सैन्य रूप से चीन से नजदीकियां बढ़ाने का आरोप लगाया था।