भोपाल। राजधानी भोपाल मध्य प्रदेश का पहला जिला कहलाएगा। जहां अधिकारियों ने बच्चों का उत्कृष्ट भविष्य बनाने के लिए नया रास्ता निकाला है। इसे प्रदेश का पहला अभिनव प्रयोग भी कहा जा रहा है। नियमित शिक्षण सत्र प्रारंभ हो चुका है। अब अधिकारी यह कदम उठाएंगे। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने संयुक्त रूप से नई तरकीब अपनाने की रणनीति सोची है। जानकारी है कि अधिकारी औचक निरीक्षण करेंगे और स्वयं कक्षाएं लेंगे। इसके तहत छमाही परीक्षा के बाद स्पेशल कक्षाएं लगाई जाएगी। अर्धवार्षिक में जो बच्चे कमजोर निकाल कर सामने आएंगे। विशेष कक्षाओं में उनकी तैयारी करवाई जाएगी। कोशिश यही होगी कि वार्षिक परीक्षाओं तक प्रत्येक कक्षा का हर बच्चा सभी विषयों में पारंगत हो। इसके लिए शिक्षकों की हौसला अफजाई करने और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए अधिकारी प्रतिदिन एक स्कूल में पहुंचकर कक्षा लेंगे।
- शिक्षकों के साथ-साथ बच्चों को प्रतिदिन मोटिवेट करेंगे- अंजनी त्रिपाठी
जिला शिक्षा अधिकारी अंजनी त्रिपाठी कहते हैं कि नियमित कक्षाएं लगाएंगे। इस दौरान
कमजोर बच्चों का चिन्हांकन कर लिया जाएगा। जो बच्चे कमजोर निकाल कर सामने आएंगे। वार्षिक परीक्षाओं तक उनकी बेहतर विषय तैयारी करवाने के लिए विशेष कक्षाएं लगाई जाएगी। श्री त्रिपाठी कहते हैं कि शिक्षकों के साथ बेहतर तालमेल और समन्वय बनाकर हम बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं तक संपूर्ण तैयारी करवाएंगे। इसलिए निर्णय भी लिया है कि शिक्षकों के साथ हम स्वयं हर दिन एक न एक स्कूल में पहुंचकर पीरियड लेंगे। स्कूल में पढ़ाने के पीछे मंशा यह भी है कि बच्चों को क्या तकलीफ है। शिक्षकों की क्या समस्याएं हैं। उनका भी मौके पर समाधान किया जाएगा। इसके भविष्य में अनेक फायदे भी सामने आएंगे।