भोपाल, 7 जुलाई। प्रचलन से बाहर हो रहे कोदो, कुटकी और अन्य प्राचीन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी सेवा मंडल ने पहल की है। राजधानी के एमपी नगर स्थित आदिवासी सेवा मंडल में आदिवासी महिला गृह उद्योग का शुभारंभ किया गया है। यहां पर एक छत के नीचे सभी प्रकार के आदिवासियों द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पाद उपलब्ध होंगे। आदिवासी सेवा मंडल महिला प्रभाग की प्रदेशाध्यक्ष चंद्रा सर्वटे ने बताया कि आज के दौर में कोदो, कुटकी, ज्वार -बाजरा जैसे मोटे अनाज यानी मिलेट्स उपयोग में कम लाए जा रहे हैं। इन आदिवासी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी सेवा मंडल ने आदिवासी महिला गृह उद्योग का शुभारंभ किया है। इससे मोटे अनाज को बढ़ावा मिलेगा साथ ही लोगों रोजगार मिलेगा। कोदो कुटकी जैसे अनाज डायबिटीज से पीड़ितों के लिए अच्छा आहार माना जाता है। कई आदिवासी महिलाएं संगठन से जुड़ी हैं तथा उन्हें भी रोजगार मिल रहा है।
मिलेट्स सेहत के लिए लाभकारी
आदिवासी सेवा मंडल के कार्यक्रम में मौजूद मोहिंदर कंवर ने कहा कि मोटा अनाज यानी मिलेट्स जैसे कोदो, कुटकी ज्वार -बाजरा सेहत के लिए लाभकारी हैं इन्हें नियमित आहार में शामिल करना चाहिए।
ये उत्पाद रहेंगे उपलब्ध
इसमें मुख्य रूप से आम का आचार,कटहल का आचार,मधु,मूंग दाल बड़ी,महुआ लड्डू,मूंग/उरद दाल पापड़ और विशेष रूप से मंडला ज़िले का प्रसिद्ध को दो और कुटकी आदि उत्पाद शामिल हैं ।इन सभी उत्पादों में किसी भी प्रकार के केमिकल आदि का प्रयोग नहीं किया जा रहा है बल्कि पूर्ण रूप से प्राकृतिक उत्पाद है।ऐसे ही प्रयासों से आदिवासी समाज की महिलाएँ सशक्त होंगी ।