बच्चों को अपना बचपना नहीं भूलना चाहिए- विकास दवे

भोपाल, 25 जून.बचपन जीवन का सबसे अच्छा काल होता है ।तितलियों के पीछे दौड़ना जैसी बालोचित गतिविधि बच्चे करते हैं। उन्हें गंभीर विषयों से बचना चाहिए ।गोष्ठी में जो बिहार पटना से बाल किलकारी के बच्चों के गांधी भवन में आयोजित परिसर में संवाद कार्यक्रम में आदरणीय साहित्य परिषद के निर्देशक विकास दवे जी ने कही। बाल साहित्य शोध केंद्र द्वारा जनजाति संग्रहालय एवं मानव संग्रहालय का भ्रमण बाल किलकारी के बच्चों को कराया गया। जनजाति संग्रहालय एवं गांधी भवन मानव संग्रहालय की खूबसूरती को देखकर सभी बच्चे बहुत प्रभावित हुए।सुधा दुबे,सुनील दुबे वृक्ष मित्र ने पर्यावरण से संबंधित औषधि पौधों की जानकारी भी प्रदान की।
इस अवसर पर बाल बिहार बाल किलकारी के बच्चों ने विभिन्न प्रकार की लघुकथा ,शायरी, गजल ,और कविताएं और कहानियां प्रस्तुत की जो की बहुत ही उत्तम स्तर की थी । बच्चे बाल किलकारी द्वारा बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित थे और आज के कार्यक्रम में उत्तम रचनाएं प्रस्तुत की।इस कार्यक्रम में निर्देशक महेश सक्सेना जी डॉक्टर वंदना मिश्रा, इंदिरा त्रिवेदी, नीना सोलंकी मृदुल त्यागी, वंदना जोशी प्रीति प्रवीण खरे, विनीता राउरीकर , रेनू शर्मा जी, श्यामा गुप्ता ,सुधा दुबे अनेक बाल साहित्यकार उपस्थित थे जिन्होंने बच्चों से संवाद किया और उनके लेखन कला की बारीकियां को समझाया। कार्यक्रम का संचालन बाल किलकारी के बच्चों द्वारा किया गया उनके साथ उपस्थित वीरेंद्र भारद्वाज एवं शिखा सिंह राजपूत के द्वारा के मार्गदर्शन में सारा कार्यक्रम गांधी भवन में पूर्ण हुआ। अंत में कार्यक्रम का आभार विनीता राउरीकर ने किया। भोपाल की साहित्यिक गतिविधियों से बच्चे बहुत प्रभावित हुए सभी ने उनकी यादों को कमरे में कैद कर अपने शहर को ले गए।

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