भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा आलियांस फ्रांसिस, भोपाल के सहयोग से विश्व योग एवं संगीत दिवस के अवसर 21 जून, 2024 शुक्रवार को मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में ‘‘संगीत संध्या’’ का आयोजन किया गया, जिसमें फ्रांस की जानी-मानी गायिका एलिजा ब्रोली (ब्रो) का फ्रेंच गायन और भरतनाट्यम समूह नृत्य ‘आनंद रंग’ की प्रस्तुति बीएनटी एण्ड आर्ट सेंटर, मुम्बई के कलाकारों द्वारा दी गई, जिसका नृत्य निर्देशन सुश्री संध्या पुरेचा ने की। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग श्री शिव शेखर शुक्ला, एमडी पर्यटन विकास निगम श्री इलैया राजा टी., संचालक संस्कृति संचालनालय श्री एन.पी. नामदेव, उप संचालक संस्कृति संचालनालय सुश्री वंदना पाण्डेय एवं निदेशक जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ पारम्परिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति फ्रेंच गायिका एलिजा ब्रोली (ब्रो) ने दी। ब्रो ने अपनी प्रस्तुति में रिश्ते, प्रेम, महिलाओं और युवाओं की दिनचर्या पर आधारित स्वरचित गीत गाये। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत ‘यस और नो’ (OUI OU NON) से की, यह गीत रिश्तों और प्रेम पर आधारित था। इसके बाद उन्होंने ‘गुड ईवनिंग’ गीत गाया, जो संगीत दिवस पर दोस्तों की संगीत संगत पर आधारित था। ब्रो ने अगला गीत ‘राॅन्ग प्ले’ (MAU VAIS ROLE) प्रस्तुत किया। वे जैज, राॅक, रैप और हिप-हाॅप को मिला-जुलाकर प्रस्तुत कर रही थीं, जो उपस्थित श्रोताओं को संगीत के आनन्द रूपी रस से भाव-विभोर कर दिया। ब्रो ने आगे ‘लव मी’ (AIME MOI) और ‘आई डू अंडरस्टैंड’ (LE PIRE C’EST QUEJE COMPRENDS) गीत प्रस्तुत किया। ब्रो के साथ की-बोर्ड पर रिमी गेक्यार और बेस गिटार पर जुल मिंक ने साथ दिया। पेरिस की रहने वाली एलिजा ब्रोली 10 वर्षों से संगीत के क्षेत्र में सक्रिय हैं और 5 साल पहले ‘ब्रो’ नाम का बैंड बनाया था, जो सम्पूर्ण विश्व में फ्रेंच संगीत को प्रस्तुत कर रहा है। एलिजा ब्रोली खुद गीत लिखती हैं और कम्पोज भी करती हैं।
अगली प्रस्तुति भरतनाट्यम ‘आनन्द राग’ की रही। इसके तहत पहली प्रस्तुति ‘शिवोहम और बुद्धा’ की रही, जिसमें कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से बताया कि शिवोहम, एक मंत्र जो हमें परम सत्य और परम वास्तविकता के साथ हमारी एकता की याद दिलाता है। इसके साथ शांति मंत्र ‘भूमि मंगलम’ प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया ‘सर्व-मंगलम् भवतु’ – हर जगह और हर चीज में शांति हो। बुद्धा के अंतर्गत बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं की एक आध्यात्मिक यात्रा नृत्य के माध्यम से दिखाई गई। अगली प्रस्तुति भो शम्भो की रही, जिसके तहत भगवान शिव की स्तुति प्रस्तुत की गई। यह स्तोत्र कांची कामकोटि पीठ के 68 वें शंकराचार्य श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती स्वामी द्वारा रेवती राग और आदि ताल में रचित है। यह स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न नामों, उनके रूपों और उनके कार्यों का उल्लेख करता है। इसके बाद ‘नारायणी स्तुति’ की प्रस्तुति दी गई। यह एक स्तोत्र है जो देवी नारायणी, जो हिंदू देवी दुर्गा का एक अन्य नाम है, को समर्पित है, जो देवी की शक्ति और महिमा का उत्सव मनाता है। अगली प्रस्तुति ‘उमा महेश्वर स्तोत्र’ की थी, जो एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो महादेव और उनकी शक्ति पार्वती की महिमा को गाता है। यह स्तोत्र संस्कृत में लिखा गया है और इसमें शिव और पार्वती के गुणों, महिमाओं और प्रकट्यों का वर्णन किया गया है। इसके बाद ‘एैगिरि नंदिनी’ की प्रस्तुति दी गई, जिसमें बताया कि “महिषासुर मर्दिनी” का अर्थ है जिसने असुर महिषासुर का वध किया और यह देवी दुर्गा को संदर्भित करता है। राक्षस भैंस के रूप में था और इसलिए इसका नाम “महिष असुर” पड़ा। उसे देवताओं ने बुराई को मिटाने के लिए बनाया था और उसके द्वारा कई असुरों और दानवों का वध किया गया था। अंत में अबीर गुलाल की प्रस्तुति दी गई। अबीर गुलाल संत चोखामेला द्वारा लिखा गया अभंग है, जो 14 वीं सदी में महाराष्ट्र के मंगळवेढा गांव में रहते थे। इस प्रस्तुति में शांति मोहन्ती दवे, चित्रा दल्वी वर्तक, पुष्कारा देवछाके, उश्मी दोषी, मनस्वी मिर्लेकर, आयुषी नायर, कृुपाली सुर्वे, श्रावणी कुलकर्णी, सानिका शिंदे, अंकिता नाईक और शलाका गोवलकर शामिल थीं।