स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) के लिए बने ट्रिब्यूनल की जबलपुर में लगी दो दिनी विशेष कोर्ट की सुनवाई प्रक्रिया पूरी हो गई है। शुक्रवार को एटीएस भोपाल के पुलिस अधीक्षक ने सील बंद लिफाफे में इंटेलिजेंस रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेकर ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कौरव की बेंच ने अगली सुनवाई 11 जून को निर्धारित की है। न्यायमूर्ति कौरव पीठासीन अधिकारी के रूप में देश के अलग-अलग स्थानों पर विशेष कोर्ट के जरिए इस बात का परीक्षण कर रहे हैं कि सिमी संगठन को गैर कानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं?
प्रतिबंधित छात्र संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को केंद्र सरकार ने यूएपीए के तहत 5 साल की अवधि के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है। सरकार को यह कदम इसलिए उठना पड़ा क्योंकि, सिमी देश में कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। यहां तक कि संगठन पर अन्य आतंकी संगठनों के साथ मिलकर देश में हिंसा फैलाने में मदद करने का भी आरोप है।
केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में सिमी संगठन पर लगाए प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। सिमी पर लगे प्रतिबंध के मामले की सुनवाई के लिए सरकार की ओर से एक ट्रिब्यूनल बनाया है। जिसके पहले पीठासीन अधिकारी जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव को बनाया गया है। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकी संगठनों के साथ संबंध होने के चलते साल 2001 में भारत सरकार ने सिमी को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था। साल 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण के तहत सिमी से प्रतिबंध हटा दिया गया। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली और कुछ दिन बाद ही यह प्रतिबंध फिर से लागू कर दिया गया।