नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 (LokSabha Elections 2024) में बीजेपी साल 2014 और 2019 वाला करिश्मा नहीं दोहरा सकी. एनडीए ने 293 सीटों पर जीत दर्ज की है. बीजेपी महज 240 सीटें ही जीत सकी, पिछली बार की अपेक्षा 63 सीटें उसने गंवा दी हैं. जब कि 350 पार की उम्मीद की जा रही थी. इस तरह से बीजेपी के वोट शेयर (BJP Vote Share Down) में 0.7% की गिरावट देखी गई है. बीजेपी के नेशनल वोट शेयर में 2019 में 37.3% से मामूली गिरावट के देखी गई, साल 2024 में यह 36.6% पर पहुंच गया. लेकिन उसकी सीटों की संख्या 303 से 63 घटकर 240 हो गई. मतलब साफ है कि यह आधे से काफी आ गया है. इसके बिल्कुल उलट, कांग्रेस का वोट शेयर पिछली बार के 19.5% से थोड़ा बढ़ा है और 21.2% पर पहुंच गया है. कांग्रेस 52 से लगभग दोगुनी 99 तक पहुंच गई है. ये 90 परसेंट की ग्रोथ है.
वोट शेयर में मामूली अंतर से कैसे बदलता है सीटों का नंबर?
ये समझने की जरूरत है कि वोट शेयर में मामूली अंतर होने से सीटों की संख्या में इतना बड़ा बदलाव कैसे हो सकता है? तो वह ऐसा इसलिए हुआ, क्यों कि है क्योंकि राष्ट्रीय वोट शेयर राज्यों का एक एग्रीगेशन है. एक पार्टी ऐसे राज्य में वोट शेयर हासिल कर सकती है, जहां वह इतने कम आधार से शुरू कर रही है कि वोटों की बढ़त जीत वाली सीटों में तब्दील नहीं होती है, जबकि एक ज्यादा प्रतिस्पर्धी राज्य में कई सीटों का नुकसान हो सकता है.इस बार बीजेपी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. उदाहरण के लिए तमिलनाडु में बीजेपी का वोट शेयर 2019 में 3.6% से बढ़कर इस बार 11.2% हो गया, लेकिन इससे सीटों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ. इसी तरह, पंजाब में वोट शेयर 9.6% से बढ़कर 18.6% हो गया, लेकिन कोई गठबंधन न होने की वजह से यह आंकड़ा सीट जीतने के लिए काफी नहीं था. इसलिए बीजेपी को अपनी दो सीटें भी गंवानी पड़ीं.
वोट शेयर कम होते ही कैसे गंवानी पड़ती हैं सीटें?
बात अगर बिहार की करें तो बीजेपी के वोट प्रतिशत में 23.6% से 20.5% तक करीब तीन परसेंट की गिरावट आई है, इस वजह से उसे पांच सीटें गंवानी पड़ीं, जबकि पश्चिम बंगाल में महज 1.6 प्रतिशत की गिरावट की वजह से उसकी छह सीटें कम हो गईं. सबसे नाटकीय उदाहरण महाराष्ट्र में देखने को मिला. यहां पर बीजेपी की हिस्सेदारी 27.6% से सिर्फ 1.4 प्रतिशत अंक गिरकर 26.2% हो गई, इस वजह से उसे पिछली बार की आधी से भी कम सीटें मिलीं.