प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में 17वीं लोकसभा को भंग करने की सिफारिश की गई। मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा को भंग करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है, लेकिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या केंद्रीय कैबिनेट की सलाह से ही लोकसभा को भंग कर सकते हैं। अब चूंकि कैबिनेट ने लोकसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी है तो राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही 17वीं लोकसभा भंग हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में 17वीं लोकसभा को भंग करने की सिफारिश की गई। मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा को भंग करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है, लेकिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या केंद्रीय कैबिनेट की सलाह से ही लोकसभा को भंग कर सकते हैं। अब चूंकि कैबिनेट ने लोकसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी है तो राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही 17वीं लोकसभा भंग हो जाएगी।
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों और भाजपा नीत एनडीए द्वारा सदन में बहुमत हासिल करने के बाद संभावित सरकार गठन के मुद्दे पर चर्चा हई। बैठक सुबह 11.30 बजे प्रधानमंत्री आवास पर शुरू हुई। इस बैठक के बाद मंत्रिपरिषद की बैठक होगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की यह आखिरी बैठक है। सूत्रों के अनुसार, 7 जून को संसदीय दल की बैठक होगी और अगले दिन यानी 8 जून को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है।
गठबंधन की होगी देश की अगली सरकार
लोकसभा चुनाव के नतीजों का एलान हो चुका है और 543 लोकसभा सीटों में से 240 सीटों पर भाजपा और 99 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है। भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को 292 और कांग्रेस नीत विपक्षी गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं। नतीजों से स्पष्ट है कि देश में अगली सरकार गठबंधन की होगी। सरकार गठन को लेकर बुधवार को एनडीए की बैठक होगी। वहीं विपक्षी इंडी गठबंधन भी आज बैठक करेगा। प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, लेकिन इस बार भाजपा को सरकार चलाने के लिए सहयोगी पार्टियों के समर्थन की जरूरत है। खासकर जदयू और तेदेपा का समर्थन जरूरी होगा। विपक्षी गठबंधन भी जदयू और तेदेपा को अपने पाले में खींचने की कोशिश कर सकता है। हालांकि दोनों ही पार्टियों ने साफ कर दिया है कि वह एनडीए को समर्थन देंगे, लेकिन इसके बावजूद विपक्षी गठबंधन अपनी कोशिशों में जुटा है।