बैरागढ़ की सुन्दर आबोहवा में स्थित 3 ईएमई सेंटर में सोमवार, 03 जून को 816 अग्निवीरों ने शानदार तरीके से ड्रिल ग्राउंड मे मार्च पास्ट करते हुए भारतीय सेना की इलेक्ट्रॉनिकी व याँत्रिक अभियंता (ईएमई) कोर में प्रवेश किया।
भोपाल: परेड की समीक्षा ब्रिगेडियर अनिल दास, कमाडान्ट, 3 ईएमई सेंटर ने की। इस महत्त्वपूर्ण आयोजन के साक्षी बने उनके माता-पिता व अभिभावक उनकी इस उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। 10 हफ़्ते की बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग और 21 हफ्ते की एडवांस टेक्निकल ट्रेनिंग के बाद ये अग्निवीर एक ‘सोल्जर क्राफ्ट्समैन’ के रूप में परिपक्व हुए हैं।
समीक्षा अधिकारी ने इन युवा सैनिकों को उनके अचूक टर्नआऊट, शानदार मिलिट्री बीयरिंग और सटीक ड्रिल के लिए बधाई दी। उन्होंने वैश्विक सुरक्षा में आ रही नयी चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी ट्रेनिंग का इस्तेमाल लक्ष्य प्राप्ति पर केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने अपने तकनीकी कौशल को निखारने पर बल देते हुए कहा कि आपको नई युध्द तकनीकों की जानकारी होनी चाहिए और नई चीज़ें सीखने की इच्छा हमेशा होनी चाहिए। समीक्षा अधिकारी ने तीसरे बैच के इन अग्निवीरों को उनके अथक परिश्रम के लिये बधाई देते हुये प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने ट्रेनिंग के महत्त्व पर ज़ोर देते हुये इन युवा सिपाहियों को अपनी वर्दी और अपने देश पर गर्व करने के लिए प्रेरित किया।
इन अग्निवीरों ने चुनौतीपूर्ण शारीरिक व मानसिक ट्रेनिंग की है और अब ये अपनी-अपनी ईएमई यूनिट में रिपोर्ट करेंगे। विभिन्न मापदंडो में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अग्निवीरों को परेड में मैडल देकर सम्मानित किया गया। उनके गौरवान्वित माता-पिता के चेहरे फूले नहीं समा रहे थे। देश सेवा मे भागीदार बने सभी अभिभावकों व परिजनों को इस अवसर पर ‘गौरव पदक’ से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1962 में स्थापित 3 ईएमई सेंटर भारतीय सेना का एक प्रमुख ट्रेनिंग सेंटर है जहाँ पूरे वर्ष अलग-अलग ट्रेनिंग कोर्स चलाए जाते हैं जिसमें अग्निवीरों और प्रशिक्षित सैनिकों की ट्रेनिंग कराई जाती है। सेंटर ने 75,000 से ऊपर रिकरुटों को परिपक्व सैनिक के रूप में तैयार किया है जिन्होंने ऑपरेशन, आम जनता की मदद, आपदा प्रबंधन व खेलों में अपना लोहा मनवाया है। भोपाल के लोग साक्षी हैं कि जब-जब हालातों की माँग रही, तब-तब 3 ईएमई सेंटर सहायता के लिए आगे आया है। 02 दिसंबर 1984 के यूनियन कारबाइड हादसे में सेंटर की आपदा प्रबंधन टुकडियों ने अग्रणी भूमिका निभाई। सेंटर आज भोपाल के लोंगों के साथ कंधे से कंधा मिलाए खड़ा है। अग्निपथ स्कीम आने के बाद से सेंटर ने अब तक तीन बैच की ट्रेनिंग करवा दी है। अग्निवीरों का चौथा बैच जून 2024 में सेंटर में रिपोर्ट करेगा।