सरकार ने गर्भपात संबंधी नए नियम अधिसूचित किए है , जिसके तहत कुछ विशेेेष श्रेणी की महिलाओं कें मेडिकल गर्भपात के लिए गर्भ की समय सीमा को २० सप्ताह ( पांच महीने से बढाकर छह महीने ) कर दिया गया हैा गर्भ का चिकित्सकीय समापन ( संशोधन ) नियम, २०२१ के अनुसार, विशेेेष श्रेणी की महिलाओं में यौन उत्पीडन या बलत्कार या काैैटुंबिक व्यभिचार की शिकार , नाबालिग , ऐसी महिलाएं जिनकी वैवाहिक स्थिति गर्वावस्था के दौरान बदल गई हो ( विधवा हो गई हो या तलाक हो गया हो ) और दिव्यांग महिलाएं शामिल हैा नए नियम में मानसिक रूप से बीमार महिलाओं , भ्रूण में ऐसी कोई दिक्कत या बिमारी हो जिसकेे कारण उसकी जान को खतरा हो या फिर जन्म लेने के बाद उसमे दिक्कत होने की आशंका हो जिससे वह गंभीर विकलांगता का शिकार हो सकता है, सरकार द्वारा घोेषित मानवीय संकट ग्रस्त जगह या आपदा या आपात स्थिति में गर्भवती महिलाओं को भी शामिल किया गया हैा यह नए नियम मार्च में संसद में पारित गर्भ का चिकित्सकीय समापन विधेयक, २०२१ के तहत अधिसूचित किए गए हैै पुराने नियम के तहत ,१२ सप्ताह तक केे भ्रूूण का गर्भपात कराने के लिए एक डाॅक्टर की सलाह की जरूरत होती थी और १२ से २० सप्ताह के गर्भ के मेडिकल समापन के लिए दो डॉक्टराें की सलाह आवश्यक हाेेेती थी नए नियमाेे के अनुसार , भ्रूण मे ऐसी कोइ दिक्कत या बिमारी हो जिसके कारण उसकी जान को खतरा हाेे या फिर जन्म लेने के बाद उसमें ऐसी मानसिक या शारीरिक दिक्कत हाेेेने की आशंका हो जिससेे वह गंभीर विकलांगता का शिकार हो सकता है, इन परिस्थितियों में २४ सप्ताह के बाद गर्भपात के संबंंध में फैसला लेने के लिए राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा
मेडिकल बोर्ड तीन दिनों के अंदर लेगा मामलेे पर फैसला
मेडिकल बोर्ड का काम हाेेेेगा, अगर कोई महिला उसके पास गर्भपात का अनुरोध लेकर आती है तो उसकी और उसके रिपोर्ट की जांच करना और आवेदन मिलने के तीन दिनों के भीतर गर्भपात की अनुमति देने या नहीं देने केे संबंध में फैसला सुनाना हैा बोर्ड का काम यह ध्यान रखना भी हाेेेेगा कि अगर वह गर्भपात कराने की अनुमति देता हैै तो आवेदन मिलने के पांच दिनों के भीतर पूरी प्रक्रिया सुरक्षित तरीेके से पूरी की जाए और महिला की उचित काउंसिलिंग की जाए