मध्यप्रदेश में दमोह जिले से होकर गुजरने वाले जबलपुर स्टेट हाइवे किनारे रानी दुर्गावती अभ्यारण्य की सतघटियों पर रानी दुर्गावती शासन काल की अति प्राचीन बावड़ी है। जो सैकड़ों साल बाद भी अपनी अदभुत बनावट की मिसाल पेश कर रही है। लेकिन धन के चक्कर में कुछ लोग इस बावड़ी की खुदाई कर रहे हैं, जिस पर अधिकारी भी गौर नहीं कर रहे।
दमोह में स्थित दुर्गावती शासन की बावड़ी आज भी वन्य प्राणियों के लिए प्यास बुझाने का प्रमुख स्रोत बनी हुई है। इसमें 12 महीने जल भरा रहता है। वन्य जीव सीढ़ियों से आसानी से नीचे उतरकर अपनी प्यास बावड़ी के जल से बुझाते हैं। रानी दुर्गावती शासन काल में हाथी, घोड़े पानी पीने के लिए बावड़ी में बनाई गई सीढ़ियों से नीचे उतरकर अपनी प्यास बुझाते थे। आज यही बावड़ी वन्य जीवों के लिए वरदान साबित हो रही है।
स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि वीरांगना रानी दुर्गावती शासन काल के दौरान सिंगौरगढ़ सिंग्रामपुर में पांच बावड़ियों का निर्माण किया गया था। इसमें सिंग्रामपुर में चार बावड़ी देखरेख और संरक्षण के अभाव में जमींदोज हो गई। एक बावड़ी सतघटिया किनारे आज भी सुरक्षति और उपयोगी जल स्रोत है। रानी दुर्गावती द्वारा बनवाई गई बावड़ी, जो कालांतर बाद अंग्रेजी शासन में डाक चौकी बनाई गई थी। इसकी कोई देखरेख न होने की वजह से जमींदोज होने की कगार पर पहुंच गई है।
वहीं, कुछ लोगों के द्वारा धन के लालच में इस बावड़ी को खोदा जा रहा है, जो क्षतिग्रस्त हो गई है। रानी दुर्गावती अभ्यारण क्षेत्र में स्थित बावड़ी की सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर नहीं है, जिसका नतीजा है गड़े धन के चक्कर में बावड़ी को खोदकर क्षतिग्रस्त किया जा रहा है। जबकि बावड़ी का इतिहास बुजुर्ग बताते हैं, पुरातन समय जबेरा से डाकिया डाक लेकर जाता था। इस डाक चौकी से दूसरा डाकिया गुबरा से डाक आगे बढ़ाता था। सिंग्रामपुर रेंजर आश्रय उपाध्याय का कहना है, वह मामले की जांच करेंगे। इसे संरक्षित करने प्रयास किया जाएगा।
news reporter surendra maravi 9691702989