सीवन नदी के तट पर स्थित हनुमान जी की दिव्य प्रतिमा ,
सीहोर में सीवन नदी के तट पर प्राचीन हनुमान फाटक मंदिर स्थित है। यहां भगवान हनुमान राम के चरणों के दर्शन करते हैं। प्रतिमा नौ फीट की है, मंदिर का मुख्य द्वार महज चार फीट का है। मुख्य द्वार के ऊपर भगवान राम, लक्ष्मण, सीता विराजमान हैं। हनुमान जी की नजर सीधे श्री राम के चरणों पर पड़ती है। यही वजह है कि मंदिर की ख्याति जिला सहित प्रदेश भर में अपनी पहचान बनाए हुए है।
मंदिर का इतिहास पेशवा कालीन है। बताया जाता है कि काले पहाड़ के पास हनुमानजी की प्रतिमा नदी में पीठ के बल थी। शिला के रूप में लोग कपड़े धोने का काम लेते थे। तभी प्रथम पेशवा को स्वप्न में हनुमान जी ने प्रतिमा होने की बात कही। स्वप्न की सच्चाई जानने खुदाई की गई तो यह स्वयंभू प्रतिमा अपने वास्तविक रूप में नजर आई। जिसे कस्बा क्षेत्र में बने सीवन घाट पर मंदिर का निर्माण कर स्थापित किया गया था। मंदिर का निर्माण भी अपने आप में अनोखा है। यहां भगवान की प्रतिमा नौ फीट की है, मंदिर का मुख्य द्वार महज चार फीट का है। मंदिर में प्रतिमा को इस तरह विराजमान किया गया है कि पांच सौ फीट की दूरी से भी पूर्ण प्रतिमा के दर्शन होते हैं। वहीं, मुख्य द्वार के ऊपर भगवान राम, लक्ष्मण, सीता विराजमान है। हनुमान जी की नजर सीधे श्री राम के चरणों पर पड़ती है। श्री राम की आर्शीवाद मुद्रा सिर के ऊपर पड़ती है।
मठ वाले बाबा,
मठ वाले बाबा के सूने मंदिर में गूंजती हैं रामधुन
सीवन नदी के दूसरे छोर के दशहरा वाला बाग क्षेत्र में मठ वाले बाबा का मंदिर स्थित है। मुख्य पुजारी रमेश उपाध्याय ने बताया कि प्राचीन इतिहास व दस्तावेजों के आधार पर मंदिर 267 साल पुराना है। मठ मंदिर को लेकर बताया जाता है कि उस समय मंदिर परिसर के आसपास मठाधीश सिद्ध नरहरि दास महाराज रहते थे। इनके पास एक मंगलदास नामक सांड था। सांड का विवाह जुम्मा सेठ की गाय से किया गया था। इसके बाद महंत की मृत्यु वृंदावन में हुई थी। कई बार नरहरि दास लोगों को मंदिर के आसपास नजर आए। इतना ही नहीं कई बार मंदिर से राम धुन और भजन कीर्तन की आवाजें भी आती थी। जब मंदिर में जाकर देखा गया, तो दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता था। मान्यता है कि इस मंदिर में पांच से सात मंगलवार नियमित दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने यहां पहुंचते हैं। विज्ञापन
खड़े हनुमान
कुएं की खुदाई से निकली थी प्रतिमा
शुगर फैक्ट्री से रेलवे स्टेशन पर खड़े हनुमान जी का मंदिर स्थित है। जिले में एक मात्र प्रतिमा है, जिसमें हनुमान जी एक हाथ में गदा दूसरे हाथ में संजीवनी का पहाड़ लिए हुए खड़े है। पंडितों की माने तो खेती बाड़ी का काम कुशवाह समाज के लोग करते थे। जहां पानी की कमी के चलते नन्नूलाल कुशवाह ने कुएं की खुदाई की थी। खुदाई के दौरान भारी-भरकम पत्थर नजर आया तो लोग चकित रह गए। इसके बाद और खुदाई करने पर प्रतिमा नजर आने लगी। प्रतिमा पूर्ण रूप से सुरक्षित थी। जहां लोगों ने कुंए के पास ही प्रतिमा की स्थापना 1947 में की थी। बताया जाता है कि सच्चे मन से की गई मनोकामना पूर्ण होने लगी। इसी के साथ ही खड़े हनुमान के नाम से मंदिर जाना जाने लगा।
news reporter surendra maravi 9691702989