Narendra Singh Tomar: तोमर ने कहा, ‘कृषि के सामने मौसम संबंधी चुनौतियां हमेशा रहती हैं.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं समझता हूं कि अभी कोई स्थिति नहीं है. कोई प्रभाव पड़ा है, ऐसा कहना जलदबाजी होगी.’
Reported by SACHIN RAI, Dy. Editor, 8982355810
Wheat Production: इस बार पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा गर्मी पड़ रही है। अप्रैल वाली गर्मी फरवरी और मार्च में ही देखने को मिल रही है। लेकिन इस गर्मी का असर गेहूं उत्पादन पर कितना पड़ेगा, इस पर सरकार का कहना है कि इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बढ़ते तापमान का गेहूं की फसल पर अब तक कोई प्रभाव नहीं देखा गया है. संभावित प्रभाव के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.
मौसम संबंधी चुनौतियां हमेशा रहती हैं
मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में कटाई शुरू होने के दौरान क्या गेहूं की फसल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव देखा गया है, इस पर तोमर ने कहा, ‘कृषि के सामने मौसम संबंधी चुनौतियां हमेशा रहती हैं.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं समझता हूं कि अभी कोई स्थिति नहीं है. कोई प्रभाव पड़ा है, ऐसा कहना जलदबाजी होगी.’ तोमर ने बताया सरकार ने 20 फरवरी को तापमान में असामान्य वृद्धि और गेहूं की फसल पर इसके प्रभाव से उत्पन्न स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया।
कृषक समुदाय के लिए आवश्यक सलाह जारी की
इसके अलावा फसल को बचाने के लिए कृषक समुदाय को आवश्यक सलाह भी जारी की. समिति बनाने का निर्णय देश के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहने के कारण लिया गया. फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 10 करोड़ 77.4 लाख टन रह गया, जिसका कारण कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में गर्मी की लू का चलना था.
घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट
घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में तेज गिरावट के बाद केंद्र ने पिछले साल मई में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2022-23 फसल वर्ष में रिकॉर्ड 11 करोड़ 21.8 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है.
इस महीने की शुरुआत में, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था, ‘अगले दो हफ्तों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली कोई लू चलने की आशंका नहीं है, जो अनाज के गठन की एक महत्वपूर्ण अवधि है.’ भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के निदेशक एके सिंह ने पिछले महीने कहा था कि 35 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान गेहूं की फसल के लिए चिंता का विषय नहीं है.