Virat Kohli Daughter: विराट कोहली परिवार के साथ रमन रेती मार्ग स्थित केली कुंज में हित प्रेमानंद गोविंद महाराज के यहां भी पहुंचे. वे पत्नी अनुष्का और बेटी वामिका के साथ यहां 45 मिनट तक रुके और आध्यात्मिक चर्चा कर उनका आशीर्वाद भी लिया.
Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810
Virat Kohli Video: क्रिकेटर विराट कोहली, पत्नी अनुष्का शर्मा और बेटी वामिका के साथ छु्ट्टियां मना रहे हैं. बुधवार सुबह वह अचानक वृंदावन पहुंचे थे, जहां उन्होंने बाबा नीम करौरी आश्रम पहुंच उनकी समाधि के दर्शन किए. उनका यह प्रोग्राम बेहद गोपनीय रखा गया था, इसलिए लोगों को इसकी भनक नहीं लगी. अब उनके दौरे के फोटोज और वीडियोज सामने आए हैं. विराट कोहली परिवार के साथ रमन रेती मार्ग स्थित केली कुंज में हित प्रेमानंद गोविंद महाराज के यहां भी पहुंचे. वे पत्नी अनुष्का और बेटी वामिका के साथ यहां 45 मिनट तक रुके और आध्यात्मिक चर्चा कर उनका आशीर्वाद भी लिया. इसका एक वीडियो भी सामने आया है.
वीडियो में क्या है
एक मिनट और 4 सेकंड के वीडियो में विराट कोहली, अनुष्का शर्मा और वामिका प्रेमानंद गोविंद महाराज के सामने जमीन पर बैठे नजर आ रहे हैं. वीडियो में सेवादार कहता है- ‘ये भारतीय टीम के कप्तान हैं और ये फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्री हैं. ऐसा आपका परिचय है. ये आपसे मिलने आए हैं और आपके सत्संग सुनते हैं. इसके बाद प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि श्रीजी की माला इनको और चुनरी सखी को पहना दीजिए. इस दौरान विराट कोहली और अनुष्का हाथ जोड़े और सिर झुकाते नजर आ रहे हैं. वामिका को भी एक माला सेवादार पहनाते नजर आ रहे हैं. इसके बाद सेवादार कहता है- ठीक है, अब आप आ जाइए और भी लोग मिलने वाले हैं’ इसके बाद विराट माथा टेकते हैं और पत्नी और बेटी के साथ चले जाते हैं. बता दें कि कुछ महीने पहले ही विराट और अनुष्का उत्तराखंड के कुमाऊं स्थित कैंचीधाम आश्रम पहुंचे थे और वहां बाबा नीम करौरी महाराज के आश्रम में दर्शन किए थे.
कौन हैं बाबा प्रेमानंद गोविंद शरण
बाबा प्रेमानंद गोविंद शरण का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर के अखरी गांव के सरसोल ब्लॉक में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका असली नाम अनिरुद्ध पांडे था. जानकारी के मुताबिक उनके दादा भी संन्यासी थे.उनके पिता का नाम शंभू पांडे और माता का नाम रमा देवी था. कम उम्र में ही उन्होंने भक्ति पुस्तकें और ग्रंथ पढ़ने शुरू कर दिए थे. 13 साल की उम्र में वह रात 3 बजे घर छोड़कर चले गए. इसके बाद उनका ब्रह्मचर्य जीवन शुरू हुआ और नाम आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया. महावाक्य स्वीकार करने पर उन्हें स्वामी आनंदाश्रम नाम मिला. उनका ज्यादातर जीवन गंगा नदी के किनारे बीता. वह वाराणसी के अस्सीघाट और हरिद्वार के बीच ही घूमते थे. एक बार वह किसी शिष्य की मदद से मथुरा जाने वाली ट्रेन में सवार हुए और दीक्षा के लिए मोहितमल गोस्वामी से संपर्क किया. दस साल तक गुरु की सेवा करने के बाद वह पूरी तरह वृंदावन के रंग में रंग गए.