तबस्सुम: हर कलाकार की पहली पसंद, जो थीं अमिताभ बच्चन की कर्ज़दार

Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810

तबस्सुम गोविल

वरिष्ठ अभिनेत्री तबस्सुम गोविल का शुक्रवार शाम कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया. तबस्सुम गोविल ने बॉलीवुड में लंबे समय तक काम किया.

उन्होंने बचपन से ही फ़िल्मों दुनिया में क़दम रख लिया था. 1947 में बाल कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और बेहद लोकप्रिय भी रहीं.

फ़िल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम करते-करते उनका फ़िल्मों से लगाव गहराता गया और दर्शकों ने उन्हें बेबी तब्बसुम नाम दे दिया.

इसके बाद उन्होंने अभिनेत्री के तौर पर भी अपनी किस्मत आज़माई और कुछ फ़िल्में भी की.

उनके सामने कई दौर बदले और जब दौर बदला तो उन्होंने खुद को भी बदल दिया. अभिनय छोड़ उन्होंने 1972 से 1993 तक दूरदर्शन के लिए सिलेब्रिटी टॉक शो ‘फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन’ होस्ट किया.

 तबस्सुम

स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में जन्मी तबस्सुम

9 जुलाई 1944 को जन्मीं तबस्सुम मूलतः अयोध्या से थीं. उनके पिता अयोध्यानाथ सचदेव और मां असगरी बेगम थीं. तबस्सुम स्वतंत्रता सेनानी परिवार से आती थीं.

तबस्सुम की पढ़ाई मुंबई से ही हुई. उन्होंने तीन साल की उम्र से बाल कलाकार के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था.

उन्होंने साल 1947 में बाल कलाकार के तौर पर अभिनेत्री नरगिस के साथ फ़िल्मी करियर की शुरुआत की. ये

फिल्म थी ‘दीदार’ जिसमें उन्होंने नरगिस के बचपन का किरदार निभाया था.

उनके बाद 1947 में ही फ़िल्म ‘मेरा सुहाग’ और ‘बड़ी बहन’ भी रिलीज़ हुई. उन्होंने ‘बैजू बावरा’ (1952) में मीना कुमारी के बचपन का किरदार निभाया था.

साल 1952 में आई फ़िल्म ‘दीदार’ का वो गीत जिसके बोल हैं ‘बचपन के दिन भूला ना देना…’ बेहद लोकप्रिय हुआ था, वो गीत बेबी तबस्सुम पर फ़िल्माया गया था. इसे लता मंगेशकर और शमशाद बेग़म ने गाया था.

बड़ी हुईं तो तबस्सुम को कई बड़ी-बड़ी फ़िल्मों में कैरेक्टर एक्ट्रेस के तौर पर काम करने का मौका मिला.

तबस्सुम उन अभिनेत्रियों में से एक हैं जिन्होंने अभिनेता दिलीप कुमार, राज कपूर, नरगिस, मीना कुमारी, अशोक कुमार, राज कुमार, देवानंद, शशि कपूर जैसे कई कलाकारों के साथ कैरेक्टर एक्ट्रेस के तौर काम किया.

तबस्सुम गोविल

फ़िल्मों से ज़्यादा लोकप्रियता टीवी ने दिलाई

तबस्सुम ने फ़िल्मी दुनिया में अच्छा ख़ासा नाम बनाया, फ़िल्मों में कई छोटे-छोटे किरदार निभाने के बाद भी वो लोकप्रियता नहीं मिली जिसकी वो हक़दार थीं.

वो लोकप्रियता उन्हें छोटे पर्दे पर दूरदर्शन ने दिलाई. उन्होंने पहले भारतीय टेलीविज़न टॉक शो ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ की शुरुआत की.

इस शो में वे सिनेमा जगत से जुड़े कलाकारों, निर्देशकों से लेकर हर ख़ास से बातचीत किया करती थीं. शो को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला और इसी वज़ह से तबस्सुम का यह शो दूरदर्शन पर तीन या चार साल नहीं बल्कि पूरे 21 साल तक प्रसारित हुआ.

इस शो की शुरुआत साल 1972 में हुई थी और यह 1993 तक चला था. तबस्सुम का सफ़र यहीं ख़त्म नहीं हुआ.

उसके बाद उन्होंने एक हिंदी पत्रिका में बतौर संपादक 15 वर्षों तक काम भी किया.

तबस्सुम

‘रामायण’ के राम से था खास रिश्ता

तबस्सुम का फ़िल्मी करियर जितना दिलचस्प रहा उतना ही दिलचस्प उनकी निजी ज़िन्दगी भी रही.

उनकी शादी विजय  गोविल से हुई. विजय गोविल मशहूर धारावाहिक ‘रामायण’ में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल के भाई हैं. तबस्सुम और विजय गोविल का एक बेटा है, जिनका नाम होशांग है.

मुख्य भूमिका मिलने के बावजूद भी नहीं मिली वो कामयाबी

जाने माने फ़िल्म समीक्षक और वरिष्ठ पत्रकार रामचंद्रन श्रीनिवासन तबस्सुम  को याद करते हुए कहते हैं, “तबस्सुम उन अभिनेत्रियों में से एक थीं, जिन्होंने बचपन से ही काम करना शुरू कर दिया था. उनका जो आत्मविश्वास था, उनके बात करने की जो क्षमता थी, उनका अंदाज़ बहुत ही बढ़िया था.”

वे कहते हैं, ” वो बचपन से ही इंडस्ट्री में थीं और अक्सर ऐसा देखा गया है कि जो बाल कलाकार बचपन में बहुत प्यारा दिखता है, बड़े होने पर उसे दर्शक अभिनेत्री के तौर पर नहीं देख पाता जिसकी वजह ये होती है कि वो बाल कलाकार के तौर पर इतने लोकप्रिय होते हैं कि लोग उन्हें अपने जे़हन से हटा नहीं पाते हैं. कुछ ऐसा ही तबस्सुम के साथ भी हुआ.”

उनके अनुसार, ”बड़ी होने के बाद उन्होंने कई फ़िल्मों में मुख्य भूमिका करने का मौका मिला. लेकिन वो इतनी कामयाब नहीं हो पाई जितना उम्मीद की जा रही थी लेकिन वही कामयाबी उन्हें टेलीविज़न पर मिली.”

वे आगे कहते हैं,” वे लोगों की पसंददीदा होस्ट बन गईं, दर्शकों को उनके बोलने का स्टाइल बहुत पसंद आया. दर्शकों को बहुत मज़ा आता था जब वो उनकी बाते सुनते थे, जिस अंदाज़ में वो कलाकारों से सवाल पूछती थीं, वो सभी को बहुत प्यारा लगता था, कलाकार भी उनके सामने अपने सारे राज़ खोल दिया करता था. कुछ ऐसी शख्सियत थी तबस्सुम.” 

तबस्सुम

अब अमिताभ ने बचाई जान

तबस्सुम से जुड़ा एक किस्सा याद करते हुए रामचंद्रन श्रीनिवासन कहते हैं, “उनके शो ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ में हर बड़ा कलाकार शामिल होना चाहता था. क्योंकि वो शो बेहद लंबा था और उस शो की मांग भी थी. इस शो में वो कलाकारों का परिचय जिस खू़बसूरती से दिया करती थीं, वो अंदाज़ हर बड़े कलाकार को बहुत पसंद आता था.

लोग ये शो इसलिए देखते थे कि कलाकार यहां वो सब बातें कह पाते थे जो वो कहीं नहीं कह पाते थे. इस लिए उनके शो के लिए लंबी लाइन लगा करती थी. हर कोई उनसे उनके इंटरव्यू करने की बात किया करता था.”

वे बताते हैं, ”उस दौर में तबस्सुम की बड़ी इच्छा थी कि वो अमिताभ बच्चन का इंटरव्यू करें. उन्होंने बहुत प्रयास किया लेकिन अमिताभ बच्चन का इंटरव्यू उस वक़्त नहीं हो पाया. लेकिन एक शो के दौरान तबस्सुम ने ख़ुद इस बात का जिक्र किया कि एक इवेंट के दौरान भगदड़ मच गई. उस इवेंट में वो व्हीलचेयर पर शो करने आई थीं.”

इस घटना के बारे में वे आगे बताते हुए कहते हैं कि अचानक भगदड़ होने के चलते वो बहुत डर गईं और व्हीलचेयर से उठ नहीं पाईं. वो चिल्लाती रहीं कि कोई बचा लो उन्हें, उस दिन उनकी जान जा सकती थी लेकिन तभी वहां मौजूद मेहमान अभिनेता अमिताभ बच्चन ने फ़िल्मी हीरो की तरह, जिस तरह से वो फ़िल्मों में एंट्री लेते थे, असल ज़िंदगी में भी उसी स्टाइल से ली और उनकी जान बचा ली.

उन्हें वो उस आग और भगदड़ से बचा लाए. इस घटना के कुछ महीनों बाद उनकी मुलाक़ात अमिताभ बच्चन के साथ उन्हीं के शो में हुई.

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