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जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नव वर्ष का काउंट डाउन शुरू हो गया है। नव वर्ष को लेकर शहर के नागरिक भी खासे उत्साहित हैं। लोग नव वर्ष का जश्न मनाने होटलों में बुकिंग कराने लगे हैं पर्यटन प्रेमी शहर के आस-पास के पर्यटन स्थल, पिकनिक स्पाट पहुंचकर नए वर्ष को यादगार बनाने की तैयारी में हैं। शहर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल संगमरमरी वादियों से लबरेज भेड़ाघाट धुंआधार, भदभदा, पायली, ग्वारीघाट, बरगी, लम्हेटाघाट, खंदारी, कटाव कंटगी जैसे जलाश्यों के किनारे गुलजार रहेंगे वहीं प्रकृति प्रेमी डुमना नेचर पार्क, भंवरताल पार्क, टैगोर उद्यान में नव वर्ष का जश्न मनाएंगे। जबकि धार्मिक महत्व के स्थल पाटबाबा, चौसठ योगिनी, कल्चुरी कालीन त्रिपुर सुंदरी मंदिर, कचनार सिटी, ग्वारीघाट जैसे स्थल में भी लोगों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ने की संभावना है।
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ये खास पर्यटन, दर्शनीय व धार्मिक स्थल
ग्वारीघाट-
नर्मदा का किनारे बना यह घाट है जो श्रद्वालुओं के आकर्षण का केंद्र है। सुबह से लेकर देर रात तक ग्वारीघाट पर श्रंद्वालुओं की भीड़ बनी रहती है। दीपदान और नौका बिहार यहां पर्यटक और श्रद्वालु भरपूर आनंद लेते हैं। देखने के लिए यहां शाम सात बजे नर्मदा आरती आकर्षण है। इसके अलावा शाम के वक्त यहां मनोरम द्श्य होता है। ग्वारीघाट के सामने गुरूद्वारा है जहां नाव से पहुंचा जा सकता है। यहां खान-पान के लिए कई दुकाने हैं। इसके अलावा ठंड में गक्कड़ भर्ता भी कई दुकानों की प्रसिद्व है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 10 किमी
पहुंचे- मेट्रो बस, आटो, स्वंय का वाहन
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त्रिपुर सुंदरी-
भोपाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर तेवर में त्रिपुर सुंदरी मंदिर है। त्रिपुरी काल की प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमा विराजमान है। पौराणिक महत्व वाले इस स्थल पर दूर-दूर से श्रद्वांलु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आसपास के क्षेत्र में पुरातत्व महत्व की कई प्राचीन प्रतिमाएं है। यहां पहुंचने के लिए भेड़ाघाट रूट की मेट्रो बस अथवा आटो से पहुंचा जा सकता है। हिंदू मान्यता के मुताबिक इस मंदिर के दरबार में लोग अपनी इच्छाओं की मान्यता के लिए हाजिरी लगाते हैं।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 16 किमी
पहुंचे- मेट्रो बसें, आटो व स्वंय के वाहन
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पाटबाबा-
हरे भरे पहाड़ों के बीच घिरा पाटबाबा मंदिर। ये हनुमान जी का सिद्व मंदिर है। जो तीन तरफ जंगल से घिरा है। जीसीएफ फैक्ट्री के करीब यह मंदिर है। फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा इस मंदिर का रखरखाव किया जाता है। मंदिर का क्षेत्र बड़ा होने की वजह से लोग दर्शन के अलावा यहां मनोरंजन के लिए भी पहुंचते हैं। यहां पिकनिक मनाने भी कई लोग आते हैं। यहां पर शांत माहौल था और बहुत सारे लोग यहां पर शाम को आते हैं। भगवान के दर्शन करते हैं। यहां पर सतपुला की बाजार भी भर्ती है, तो आप यहां से बाजार करते हुए अपने घर जा सकते हैं। यह बहुत आध्यात्मिक जगह है। मंदिर परिसर के चारों ओर जंगल है जिससे यहां पर मोर और बंदर आपको देखने मिलते है। यह पहाड़ी है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 2किमी
पहुंचे- स्वंय के वाहन या सतपुला तक आटो से
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कचनार सिटी-
विजय नगर में यह विशाल शिव प्रतिमा कचनार सिटी में है। यहां आने के लिए आटो की सुविधा है। मंदिर के बाहर पार्किंग स्थल है। मंदिर खुले मैदान के बीच में प्रतिमा है जहां भक्त पहुंचकर प्रतिमा के नीचे बनी गुफा में प्रवेश करते हैं। यहा भगवान शिव के अलग अलग 12 ज्योर्तिलिंग स्थापित है। जिसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। आपको यहां पर आकर बहुत अच्छा लगेगा। आप यहां पर अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ आ सकते है और अच्छा समय बिता सकते है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 8 किमी
पहुंचे- दीनदयाल चौक तक मेट्रो बस से
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पिसनहारी की मढ़िया-
क्या है खास- पहाड़ी पर स्थापित पिसनहारी की मढ़िया दिगंबर जैन पंथ का एक जाना-माना तीर्थ स्थल है। यह जैन मंदिर, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कालेज के पास ही स्थित है। अपने वास्तुशिल्प और सुंदरता के लिए जाना जाने वाला यह 500 साल पुराना पर्यटन स्थल जबलपुर में सर्वाधिक घूमे जाने वाले जगहों में से एक है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 8 किमी
पहुंचे – मेट्रो बस, आटो
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डुमना नेचर पार्क
क्या है खास- डुमना रोड स्थित नेचर पार्क प्राकृति सुंदरता से ओत-प्रोत है। यहां हरे-भरे वृक्ष जंगल सफारी का मजा देते हैं। वहीं खंदारी जलाश्य ऐसा है जो हमेशा लबालब रहता है। वन्य जीव यहीं आकर अपनी प्यास बुझाते हैं और पर्यटक उनके दीदार कर खुश होते हैं।डुमना नेचर पार्क में बहुत सारे वन्य जीव देखने के लिए है। हिरणों के झुंड, मोर, जंगली सूअर, लाल और काले मुंह के बंदर, विभिन्नाा प्रजातियों के पक्षी भी कलरव मचाते हैं। खंदारी जलाश्य में कभी कभार मगरमच्छ के दर्शन भी हो जाते हैं। बच्चों के लिए टाय ट्रेन भी है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 12 किमी
पहुंचे- स्वंय के वाहन से
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भंवरताल-
क्या है खास- शहर के बीचों बीच स्थित भंवरपार्क भी घूमने के लिए अच्छा है। पार्क में रंग-बिरंगे फूल, पौधे, झूले आकर्षित करते हैं। बीचों बीच हाथी पर सवार रानी दुर्गावती की प्रतिमा देखने लायक है। बीच अध्यात्मिक संत ओशो रजनीश ने जहां बैठकर समाधि ही थी बोधी वृक्ष आज भी स्थापित है। नगर निगम ने इसे बहुत सहेज कर रखा है। यहां रंग-बिरंगे फाउटेंन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
दूरी- रेलवे स्टेशन से एक किमी
पहुंचे – आटो, मेट्रो बस
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भेड़ाघाट-
जबलपुर के मुख्य पहचान भेड़ाघाट न सिर्फ शहर के लोगों का पसंदीदा पर्यटन स्थल है, बल्कि देश-विदेश के पर्यटक यहां आते हैं। संगमरमरी वादियों के बीच से बहता मां नर्मदा का जल, हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां से लगी बंदर कूदनी, पंचवटी का नौकाविहार करके आप मां नर्मदा के भव्य सौंदर्य का दर्शन कर सकते हैं। यहां पर संगमरमर के पत्थर पर उकेरी गई कला के प्रेमी आज देश और विदेश तक में हैं।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 23 किमी
पहुंचे – आटो, मेट्रो बस और निजी वाहन से
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लम्हेटाघाट-
नर्मदा नदी पर बने एक भव्य और धार्मिक घाटों में से एक लम्हेटाघाट न सिर्फ श्रृद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहता है, बल्कि यहां आने वालों में नर्मदा परिक्रमा करने वालों से लेकर पर्यटकों की भीड़ साल भर रहती है। खासतौर पर नए साल पर नर्मदा भक्तों का जमावड़ा बड़ी तादात में लगता है। यहां पर विशाल पत्थरों के बीच से बहती नर्मदा का सुर, मन को सुकून और शांत करता है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 16 किमी दूर
पहुंचे- आटो, मेट्रो बस और निजी वाहन से
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पायली-
यहां पर मंडला से जबलपुर आने वाली नर्मदा का पानी से भरा विशाल क्षेत्र है। दूर-दूर तक देखने पर हर तरफ पानी समुद्र का अहसास कराता है। यहां पर पानी में उठती लहरे, समुद्र की याद दिलाती है। हर साल, हर मौसम में पर्यटक यहां पर पिकनिक मनाने आते हैं, लेकिन नए साल पर यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या हजारों तक जा पहुंचती है। यहां पर हरी-भरी वादियों के बीच नौका विहार का भी आनंद लिया जा सकता है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 56 किमी
पहुंचे- निजी वाहन से
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बरगी-
बरगी बांध से लगे बरगी पर नए साल को सेलीब्रेट करने हजारों लोग पहुंचते हैं। यहां पर नर्मदा की लहरों का मजा क्रूज और बोट के जरिए लिया जा सकता है। पर्यटन विभाग के बरगी रिसोर्ट में रूकने और लजीज व्यंजन की भी खास व्यवस्था है। इसके अलावा यहां पर बरगी बांध भी धूमा जा सकता है।
दूरी- रेलवे स्टेशन से 22 किमी
पहुंचे- निजी वाहन से
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देवताल –
नागपुर रोड पर स्थित हितकारिणी स्कूल से चंद कदम की दूरी पर भीतर की ओर दाखिल होने पर देवताल नजर आता है। इसे विष्णुताल भी कहते हैं। यहां मंदिरों की श्रृंखला नयनाभिराम है। इससे लगा हुआ कचनार गार्डन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा ओशो आश्रम व गोसाईं विट्ठलनाथ की बैठक भी आकर्षित करते हैं। यहां चातुर्दिक पर्वतीय वादियों के दीदार होते हैं। भूतनाथ की टेकरी से विहंगम दृश्य देखते ही बनता है। ओशो आश्रम के सामने की ओर विकसित बागीचा मन मोहक है। प्रकृति ने इस स्थान का श्रृंखार बड़ी खूबसूरती से किया है। इसीलिए यहां चंद पल बैठकर निसर्ग के बीच शांति का अनुभव किया जा सकता है। विविध परिंदों की चहचहाहट भी यहां की विशेषता है।
दूरी : जबलपुर रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर
पहुंचें : आटो-टैक्सी
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टैगोर उद्यान :
यह कैंट अंतर्गत सदर में नर्मदा क्लब के सामने स्थित अत्यंत खूबसूरत बागीचा है। यहां सुबह पांच बजे व सायं छह बजे से चहलपहल देखने लायक रहती है। यहां फूलों की विविधता मनोहारी है। इसीलिए वयोवृद्धों से लेकर प्रत्येक आयुवर्ग के लोग यहां तरफरीह करना बेहद पसंद करते हैं। मैरी गोल, झूलों, स्लाइड के साथ बच्चों के खेलने के लिए यहां पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए गए हैं। पार्क के बाहर उत्कृष्ट पार्किंग सुविधा व सुव्यवस्थित फुटपाथ देखते ही बनता है। भीतर कैंटीन व गीतांजलि लायब्रेरी की सुविधा भी दी गई है। चंद कदम की दूरी पर सदर चौपाटी है, टैगोर गार्डन से निकलकर यहां जायके का लुत्फ लिया जा सकता है।
दूरी : जबलपुर रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर
पहुंचें : आटो-टैक्सी
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कटाव –
जबलपुर जिले की मझौली तहसील में स्थित कटाव अत्यंत दर्शनीय स्थल है। कटाव घाट कटंगी के पास गुबरा नामक गांव से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दमोह-जबलपुर हाईवे से गुबरा गांव पहुंचकर कटाव के लिए मुड़ना पड़ता है। दूर से ही सुंदर घाटियों के दीदार होने लगते हैं। यहां आवागमन के लिए बेहतर सड़क की सुविधा दे दी गई है। सावधानी बस इतनी बरतनी होती है कि यहां के खतरनाक मोड़ों पर वाहन की गति धीमी रखी जाए। ऐसा इसलि क्योंकि घाटी क्षेत्र होने के कारण सड़क कई जगहों पर घुमावदार है। धार्मिक प्रवृत्ति के पर्यटकों को यहां कटाव घाट आश्रम में साधु-संतों के दर्शन मिलते हैं। मंदिर भी सुंदर हैं।
दूरी : जबलपुर रेलवे स्टेशन से 40 किलोमीटर
पहुंचें : टैक्सी या निजी वाहन
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परियट –
परियट बांध व जलप्रपात अत्यंत दर्शनीय है। जबलपुर से कुंडम की ओर जाते समय रास्ते में इसका दीदार होता है। यहां का पहुंच मार्ग शानदार है। भीतर प्रवेश करने पर बैठने के लिए सीमेंटेड चेयर बनी हैं। चारों तरफ हरियाली चूनर ओढ़े धरती मन मोह लेती है। चंद पल में ही यह स्थान सम्मोहित कर लेता है। यहां एक कैंटीन भी है, जिसमें चाय-काफी, स्नैक्स मिलते हैं। गलियारे के एक तरफ खूबसूरत बांध के दर्शन होते हैं, जो परियट बांध है। थोड़ा आगे जाने पर गांव के दर्शन भी मनमोहक होते हैं। डैम में मगरमच्छ के भी दर्शन किए जा सकते हैं।
दूरी : जबलपुर रेलवे स्टेशन से 17 किलोमीटर
पहुंचें : टैक्सी या निजी वाहन