न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Mon, 26 Dec 2022 12:06 PM IST
इंदौर का राजवाड़ा अपने पुराने वैभव में लौट आया है।
मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर के प्रतीक राजवाड़ा का पुराना वैभव लौट आया है। गांधी हॉल और गोपाल मंदिर को भी नया स्वरूप दिया गया है। 35 करोड़ रुपये खर्च कर न केवल इन ऐतिहासिक इमारतों को मजबूती दी है, बल्कि उनकी सुरंदता में भी चार चांद लगाए गए हैं। अब यह इमारतें शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार साबित होंगी। नगर निगम गांधी हाॅल का रखरखाव पीपीपी मोड पर करने की तैयारी में है। राजवाड़ा में भी फिर से लाइट एंड साउंड शो शुरू हो सकता है। नए सिरे से तैयार हुए राजवाड़ा को आकर्षक लाइट से भी सजाया गया है और रात के समय इसकी खूबसूरती अलग ही नजर आ रही है।
इंदौर का नवशृंगारित राजवाड़ा।
सिर्फ राजवाड़े पर हुए 20 करोड़ रुपये खर्च.दो सौ साल पुराने राजवाड़ा को संवारने में 20 करोड़ रुपये और तीन साल लगे हैं। राजवाड़ा की सात मंजिलों के पिलरों को विशेष तरह के नट-बोल्ट से कसकर मजबूती दी है। ताकि वह अलगे 100 सालों तक मजबूती से खड़ा रह सके।
राजवाड़ा की नींव को मजबूत करने के लिए जूट, बेलफल, चूना, उड़द दाल, इमली का पानी, पूजा में काम आने वाले गूगल के घोल से मजबूत किया गया, ताकि चूहे नींव के आसपास अपने बिल न बना सकें। यह घोल बारिश के पानी से भी नींव को बचाएगा।
राजवाड़ा पर विशेष पेंट किया गया है। यह उसे काई और सीलन से बचाएगा। राजवाड़ा का रंग पीला है। राजवाड़ा की पहली मंजिल पर लगे पत्थरों की पॉलिश की गई है।
सबसे ऊपरी हिस्से की गैलरी तोड़कर नए सिरे से बनाया गया, क्योकि वह काफी पुरानी हो चुकी थी। छत पर समय-समय पर वाॅटर प्रूफिंग के लिए डाले गए मटेरियल को भी निकालकर छत से वजन कम किया गया।
राजवाड़ा का निर्माण 1833 में चार लाख रुपये की लागत से मल्हारराव होलकर ने करावाया था। दौलतराव सिंधिया के ससुर सरजेराव घाड़गे ने राजवाड़ा में आग लगा दी थी। तब प्रवेश द्वार की सात मंजिलों में से दो मंजिल जल गई थी। 1984 के दंगों में राजवाड़ा के पिछले हिस्से में आग लग गई थी। एक बार पहले भी राजवाड़ा की मरम्मत की गई थी।
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