अदालत ने पॉक्सो का मामला बंद किया, कहा-पक्षकारों के बच्चों का भविष्य इसके नतीजे पर निर्भर है
दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत वर्ष 2012 में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को यह कहते हुए बंद कर दिया कि लड़की (जिससे आरोपी की शादी हुई है) और उसके पिता ने अपनी शिकायत में आरोपी के खिलाफ ‘‘कुछ भी…
नेशनल डेस्क : दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत वर्ष 2012 में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को यह कहते हुए बंद कर दिया कि लड़की (जिससे आरोपी की शादी हुई है) और उसके पिता ने अपनी शिकायत में आरोपी के खिलाफ ‘‘कुछ भी नहीं” कहा है।
अदालत ने कहा कि यह मामला दंपति की ‘‘असाधारण परिस्थिति” से जुड़ा है जिसमें उसके दो बच्चों का भविष्य प्राथमिकी के नतीजे पर निर्भर करता है। अदालत आरोपी व्यक्ति की ओर से दायर उस याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें प्राथमिकी को निरस्त करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने इस बात को रिकॉर्ड में लिया कि लड़की ने दावा किया था कि वह स्वेच्छा से याचिकाकर्ता के साथ गई थी और उससे शादी की थी तथा उस समय उसकी उम्र 19 वर्ष थी।
प्रथमिकी लड़की के पिता ने दर्ज कराई थी जिसमें उसने कहा था कि लड़की जनवरी 2012 से लापता है। फिलहाल दोनों पक्षों (लड़की और आरोपी) से सात साल और पांच साल के दो बच्चे हैं। अदालत ने कहा, ‘‘असाधारण परिस्थिति में दोनों पक्ष लंबे समय से एकसाथ रह रहे हैं और इनके दो बच्चे हैं जिनका भविष्य मौजूदा प्राथमिकी के नजीते पर निर्भर करता है। इस अदालत को मौजूदा कार्यवाही को निरस्त करना उचित लगता है।”