Anuradha Paudwal in Bhopal: अगर मैं गायिका न होती तो बावर्ची होती : अनुराधा पौडवाल
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। आजकल रीमिक्स के नाम पर गानों में जिस तरह से बदलाव किए जा रहे हैं। उससे बहुत दुख होता है, क्योंकि भविष्य में आने वाली पीढ़ी इन रीमिक्स गानों को असली समझेगी और पुरानी धुनें कहीं खो जाएंगी। यह बात एक निजी कार्यक्रम के सिलसिले में भोपाल आईं प्रसिद्ध गायिका पद्मश्री अनुराधा पौडवाल ने कही। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि वे गायिका नहीं होतीं, तो वे बावर्ची होतीं।
जीवन में अध्यात्म का बड़ा महत्व
अनुराधा ने बताया कि कोविड के दौरान मैं कई अस्पतालों से जुड़ी और वहां की नर्स, वार्ड बाय, यहां तक कि मरीजों से भी मैंने फोन पर बातचीत की। इन सभी मरीजों को मेरे गाए स्वामी के तारक मंत्र शांति का अनुभव मिलता था। इस मंत्र को सुनने से कई मरीजों का तनाव बहुत कम हुआ। उन्होंने कहा कि मुझे कभी नहीं लगा कि कोई ऐसा गीत जो मुझे अभी भी गाना है, बाकी रह गया है। मैं अपने जीवन से बहुत संतुष्ट हूं। मेरी आत्मा ही भजन और अध्यात्मिक गीतों से जुड़ी है। मेरे कैरियर की शुरुआत ही फिल्म अभिमान में शिव स्तुति के गायन से हुई। इसके बाद हीरो फिल्म का गीत तू मेरा हीरो है, से पहले भी मैंने गायत्री मंत्र ही गाया।
विवादित गीत केवल प्रचार का तरीका
दीपिका और शाहरुख के विवादित गीत ‘बेशर्म रंग’ पर उन्होंने कहा कि कभी इस चीज को प्रचार नहीं मिलेगा कि कुत्ते ने आदमी को काटा, लेकिन यदि आदमी ने कुत्ते को काटा, तो इसे बहुत प्रचार-प्रसार मिलेगा। किसी भी चीज को प्रसिद्ध करना हो तो इस तरह से पेश करो कि कुछ अलग हटके हो और लोग उसके बारे में जाने। इंटरनेट मीडिया ने तो इस आग में ज्यादा घी डालने का काम किया है, क्योंकि अब जमाना प्रचार-प्रसार का है, चाहे तरीका कोई भी हो।