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MP Coronavirus Alert: मप्र में सतर्कता डोज के लिए नहीं मिल पा रहा टीका, कैसे लड़ेंगे कोरोना से

प्रदेश में पांच करोड़ 40 लाख से ज्यादा लोगों को दोनों डोज लगी, पर सतर्कता डोज एक करोड़ 36 लाख ने ही लगवाई

MP Coronavirus Alert: मप्र में सतर्कता डोज के लिए नहीं मिल पा रहा टीका, कैसे लड़ेंगे कोरोना से

भोपाल (राज्य ब्यूरो)। कोरोना के नए वैरिएंट बीएफ-7 की दस्तक हो गई है, पर प्रदेश में एक करोड़ 36 लाख लोगों को ही सतर्कता डोज लगी है, जबकि दोनों डोज लगवाने वाले 18 वर्ष के ऊपर लोग पांच करोड़ 40 लाख से ज्यादा हैं। यानी, पात्र होने के बाद भी करीब चार करोड़ लोगों ने सतर्कता डोज नहीं लगवाई है। अब इस वैरिएंट से डरे लोग सतर्कता डोज लगवाने के लिए भटक रहे हैं, लेकिन प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कोविशील्ड वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, जबकि करीब 80 प्रतिशत लोगों को दोनों डोज कोविशील्ड की ही लगी है। निजी अस्पतालों में भी प्रदेश में बड़े शहरों में करीब 10 जगह ही यह वैक्सीन उपलब्ध है। विकल्प के तौर पर कोर्बेवैक्स वैक्सीन लगाई जा सकती है, लेकिन यह भी उपलब्ध नहीं है। अभी प्रदेश के भंडार में कोवैक्सीन की एक लाख डोज बची हैं, लेकिन इसकी आवश्यकता वाले कम हैं।

बता दें कि महाराष्ट्र में 94 लाख, राजस्थान में 78 लाख, बिहार में एक करोड़ 58 लाख, गुजरात में एक करोड़ 93 लाख और उत्तर प्रदेश में चार करोड़ 48 लाख लोगो को सतर्कता डोज लग चुकी है। मध्य प्रदेश के राज्य टीकाकरण अधिकारी डा. संतोष शुक्ला ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 दिन के लिए ही भारत सरकार ने टीका उपलब्ध कराया था। यही अभी तक चल रहा था।

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43 हजार बिस्तर उपलब्ध होने का दावा, हकीकत-कोरोना वार्ड में भी सामान्य मरीज

स्वास्थ विभाग का दावा है कि प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में मिलाकर 43 हजार बिस्तर कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि जिला अस्पतालों में बनाए गए कोरोना वार्डों में भी अब सामान्य मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। कहीं पर बच्चों का आइसीयू बना दिया गया तो कहीं महिलाओं का।

रेलवे स्टेशनों पर भी बंद की जांच

भोपाल और इंदौर समेत प्रदेश के बड़े शहरों में रेलवे स्टेशनों पर औचक जांच के लिए टीमें तैनात की जा रही थीं। सड़कों पर भी टीम लगी थी। कोरोना का संक्रमण कम होने के बाद सभी टीमें हटा ली गईं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि प्रदेश में 11 सौ फीवर क्लीनिक संचालित हो रहे हैं, जहां बुखार के उपचार के साथ ही कोरोना की जांच की जाती है, जबकि वास्तव में जिला अस्पतालों के अलावा एम्स भोपाल और कुछ सरकारी मेडिकल कालेजों में ही जांच हो रही है। भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज में करीब छह माह से कोरोना की जांच बंद है।

204 आक्सीजन प्लांट तैयार

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में 204 आक्सीजन प्लांट तैयार हैं। एक प्लांट की क्षमता 500 से लेकर 1000 लीटर प्रति मिनट तक की है। हर तीन माह में माकड्रिल की जा रही है। एक हजार लीटर क्षमता वाले प्लांट से आइसीयू में भर्ती कम से कम 50 मरीजों को आक्सीजन की आपूर्ति की जा सकती है। मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सप्लाई कारपोरेशन के प्रबंध संचालक डा. पंकज जैन ने बताया कि रेमडेसिविर, जांच किट समेत सभी संसाधन उपलब्ध हैं। जरुरत पड़ी तो और खरीदी की जाएगी।

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