जम्मू में किडनी फेलियर मरीजों को रिट्राइवल ऑपरेशन थियेटर का इंतजार

reporter surendra maravi 9691702989

किडनी प्रत्यारोपण में दो तरह के डोनर होते हैं। इसमें लिविंग रिलेटेड डोनर मामले में किसी रिश्तेदार या परिवार के सदस्य की किडनी लेकर मरीज में डाली जाती है, जबकि कैडावरिक डोनर में ब्रेन डेड वाले मामलों में लोगों की किडनी ली जाती है।

किडनी

जम्मू संभाग में कैडावरिक डोनरों के अभाव और बुनियादी चिकित्सा ढांचा तैयार न होने के कारण किडनी फेलियर मरीज जिंदगी के लिए मौत से लड़ रहे हैं। सुपर स्पेशियलिटी विभाग के नेफरोलॉजी विभाग के पास ऐसे 42 किडनी फेलियर मरीजों की सूची लंबित है, जिन्हें कैडावरिक डोनेशन में किडनी मिलने का इंतजार है।

कैडावरिक डोनर प्रत्यारोपण में रिट्राइवल ऑपरेशन थियेटर की जरूरत होती है, जो जीएमसी में अभी नहीं बन पाया है। इन मामलों में सड़क हादसों या अन्य मामलों में ब्रेन डेड मरीजों की किडनी परिवार वालों की रजामंदी से निकालकर मरीज में डाली जाती है, लेकिन जागरूकता के अभाव में ऐसे मामलों में परिवार वाले अपने मरीजों के अंगदान करने से कतरा रहे हैं।

किडनी प्रत्यारोपण में दो तरह के डोनर होते हैं। इसमें लिविंग रिलेटेड डोनर मामले में किसी रिश्तेदार या परिवार के सदस्य की किडनी लेकर मरीज में डाली जाती है, जबकि कैडावरिक डोनर में ब्रेन डेड वाले मामलों में लोगों की किडनी ली जाती है। नेफरोलाजी विभाग में अप्रैल 2022 से अब तक 12 लिविंग रिलेटिड डोनर मामलों में किडनी का प्रत्यारोपण किया जा चुका है।

इस सूची में 15 अन्य मामले लंबित हैं, लेकिन कैडावरिक मामले में 42 लोगों की सूची लंबित है, मगर फिलहाल उन्हें राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। कैडावरिक डोनर प्रत्यारोपण में रिट्राइवल ऑपरेशन थियेटर की जरूरत होती है, जो जीएमसी में अभी नहीं बन पाया है। इस ऑपरेशन थियेटर में ब्रेन डेड मरीज की किडनी निकालकर छह घंटे के भीतर मांग वाले हिस्से में पहुंचाई जाती है। जीएमसी की प्रिंसिपल डॉ. शशि सूदन का कहना है कि अस्पताल में रिट्राइवल ऑपरेशन थियेटर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें पहले चरण में कैडावरिक मामले में किडनी को प्रत्यारोपण के लिए बाहर भेजा जाएगा जबकि दूसरे चरण में यहां प्रत्यारोपण शुरू किया जाएगा।

प्रतीकात्मक तस्वीर

स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) के संयुक्त निदेशक डॉ. संजीव पुरी का कहना है कि कैडावरिक डोनर मामलों के लिए ग्रीन कॉरिडोर पर काम किया जा रहा है। इसमें रिट्राइवल ऑपरेशन थियेटर का निर्माण होने पर किडनी को देश के विभिन्न हिस्सों में निर्धारित समय में प्रत्यारोपण के लिए पहुंचाया जा सकेगा। सोटो की ओर से किडनी दान के लिए पिछले दो साल से जागरूकता को बढ़ाया जा रहा है। इसमें कैडावरिक प्रत्यारोपण के लिए स्टाफ को प्रशिक्षण भी दिया गया है।

हर माह 700 से 800 मरीज जांच के लिए पहुंच रहे

सुपर स्पेशियलिटी जम्मू के नेफरोलाजी विभाग में हर माह जांच के लिए 700 से 800 मरीज पहुंच रहे हैं। गत नवंबर माह में 750 किडनी के मरीज पहुंचे। इनके इतिहास में अधिकांश प्रमुख रूप से मधुमेह, हाइपरटेंशन और अन्य शारीरिक समस्याओं से किडनी की बीमारी से पीड़ित हुए हैं। नवंबर माह में ही 1058 मरीजों के डायलिसिस किए गए। विभाग में 18 मशीनों पर एक दिन में तीन शिफ्टों में 30 से 35 मरीजों के डायलिसिस किए जा रहे हैं। इसी तरह एसएमजीएस के बाल रोग विभाग में दो और जीएमसी में दो डायलिसिस मशीनें स्थापित हैं। आयुष्मान कार्ड के तहत मरीजों के निशुल्क डायलिसिस किए जा रहे हैं।

दो और सफल किडनी प्रत्यारोपण

जम्मू। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल जम्मू में दो और सफल किडनी प्रत्यारोपण किए गए हैं। अब तक 12 लोगों का किडनी प्रत्यारोपण किया जा चुका है। इसमें एक मामले में मामा की किडनी उधमपुर निवासी 27 वर्षीय मरीज और दूसरे मामले में पिता की किडनी जम्मू निवासी 20 वर्षीय बेटे को दी गई है। दोनों मरीजों को सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दी गई है। अस्पताल में आयुष्मान सेहत योजना के तहत किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा निशुल्क दी जा रही है। जीएमसी जम्मू देशभर के प्रमुख ऐसे मेडिकल कॉलेजों में से एक है, जहां किडनी और कार्निया प्रत्यारोपण की सुविधा दी जा रही है।

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